29 मई 1964, राज्यसभा एक सपना था जो अधूरा रह गया। एक गीत था जो गूँगा हो गया। एक लौ थी, जो अनन्त में विलीन हो गयी। सपना था, एक ऐसे संसार का, जो भय और भूख से रहित होगा।... Continue Reading →
29 मई 1964, राज्यसभा एक सपना था जो अधूरा रह गया। एक गीत था जो गूँगा हो गया। एक लौ थी, जो अनन्त में विलीन हो गयी। सपना था, एक ऐसे संसार का, जो भय और भूख से रहित होगा।... Continue Reading →
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