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लता मंगेशकर : भारत का गौरव ही नहीं, स्वाभिमान भी

लता मंगेशकर भारत के पिछले सत्तर- अस्सी सालों के इतिहास का सबसे गौरवमयी नाम हैं जिन्होंने सामान्यजन तक बड़ी आसानी से संगीत कला की उंचाई पहुंचाई है| वे पूरे भारत, विश्व भर में फैले भारतीयों और भारतीय उपमहाद्वीप में बसने... Continue Reading →

सभी सुख दूर से गुज़रे (Aarambh 1976) : दुःख ही जब जीवन का स्थायी भाव बन जाए

अपनी किशोरावस्था से ही कुंदनलाल सहगल के गायन का दीवाना प्रशंसक बनने से मुकेश को दो बहुत बड़े लाभ हुए| एक तो दुःख के भाव को गायन में प्रदर्शित करने में उन्हें सहजता प्राप्त हो गई और दूसरे गीत में... Continue Reading →

दिलीप कुमार : अभिनेताओं के अभिनेता का कालजयी खुमार

मौन साधा परदे पर तो ऐसा कि सन्नाटे के छंद ही बुन दिए और बकर बकर बोल हास्य रचा तो ऐसा कि लगा अभिनेता दिलीप कुमार को ट्रेजडी किंग का खिताब कैसे दे दिया लोगों ने, यह अभिनेता तो हास्य... Continue Reading →

लता श्रुति-संवाद : लता मंगेशकर के संगीत संसार की कुंडली विवेचना

कहते हैं जो दुनिया में है वह सब महाभारत में कहा या दर्शाया जा चुका है और जो वहाँ नहीं वह दुनिया में नहीं है| कुछ ऐसा ही भारत रत्न लता मंगेशकर के संगीत के बारे में कहा जा सकता... Continue Reading →

ऋषि कपूर (1952-2020) : बचपन, जवानी, बुढ़ापा, शो का पटाक्षेप

 कोमल और प्रेममयी स्वर में टीचर : राजू तुम यहाँ क्या कर रहे हो? किशोर लड़का : मैडम मैं सर के सामने कंफैशन कर रहा था, मैंने पाप किया है| कहकर लड़का बाहर जाने लगता है जिससे उसे अपनी टीचर... Continue Reading →

रमैय्या वस्तावैय्या (Shri 420) … राम तेरा दिल और कर्म मैले

आग, बरसात से होते हुए आवारा तक फिल्म दर फिल्म अपने निर्देशकीय कौशल का परचम ऊंचा और ऊँचा करते हुए Shri 420 में निर्देशक राज कपूर अपनी निर्देशकीय प्रतिभा का शिखर छू जाते हैं| इस गीत के सिनेमाई रूपांतरण में... Continue Reading →

Mausam(2011) : काश अच्छे आगाज़ की तरह अंजाम भी बेहतर दे देते पंकज कपूर

आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता जब जुल्फ की कालिख में घुल जाये कोई राही बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता हँस-हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टूकड़े... Continue Reading →

Shaan(1980): शोले की आन, बान और शान में घटोत्तरी

सत्तर का दशक बीत चुका था, अस्सी का दशक धड़ल्ले से आगमन कर गया था। अमिताभ बच्चन सफलता के पुष्पक विमान पर उड़ान भरते हुये हिन्दी सिनेमा में देवाधिदेव होने का मुकाम हासिल कर चुके थे। दर्शक उनकी हर नई... Continue Reading →

नव कल्पना नव रुप (Mrig Trishna 1978) : नारी सौन्दर्य की भारतीय परिकल्पना

उर्वशी और मेनका जैसी अप्सराओं के मिथकों, सिंधु घाटी की सभ्यता से मिले अवशेषों में पायी गयी यक्षिणी की मूर्ति और अजंता एलोरा की गुफाओं में सदियों से अपने विलक्षण सौन्दर्य की झलक दिखाती यक्षिणी तक ढेरों उदाहरण पाये जाते... Continue Reading →

Saudagar (1973): चाहत भी जब व्यापार बन जाये

नारी बिचारी है पुरुष की मारी है तन से क्षुधित है मन से मुदित है लपककर झपककर अंत में चित्त है (रघुवीर सहाय) पतझड़ को ही मौसम की स्थायी अवस्था मानकर विधवा माजू बी (नूतन) किसी तरह जीवन काट रही... Continue Reading →

Abhimaan (1973) : अमिताभ- जया श्रेष्ठ हैं या कला और प्रतिभा?

उमा (जया भादुड़ी) अपने पति सुबीर (अमिताभ बच्चन) को घर ले जाने के लिये सुबीर की दोस्त चित्रा (बिन्दु) के घर आती हैं। उमा और सुबीर की शादी के स्वागत समारोह के बाद यह उमा और चित्रा की दूसरी ही... Continue Reading →

A Meeting with Mubarak Begum

For some years the poverty of famous singer Mubarak Begum has been in news and her plight has been bothering many music lovers and they have been forced to think what this country and its government and state governments have... Continue Reading →

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