ग़ालिब के किशोरवय के काल में उनके ससुर द्वारा उनसे किए जाना वाले दोस्ताना और उनके प्रति सम्मान और प्रशंसा रखने वाले रुख ने ग़ालिब को एक शायर के विकसित होने वाले शुरुआती दौर में बेहद प्रोत्साहन दिया होगा| पिछले... Continue Reading →
“कैफ बरदोश, बादलों को न देख, बेखबर, तू न कुचल जाए कहीं|” आकाश में उमड़ घुमड़ आये बादलों से मनुष्य का बहुत पुराना सम्बन्ध है शायद तब का जब मानव ने धरती पर बस जन्म लिया ही होगा और उसे... Continue Reading →
And they lived happily ever after… प्रेम कहानियों पर आधारित ज्यादातर फ़िल्में इस एक पंक्ति या इस एक समझ के साथ समाप्त होती हैं पर वास्तविक जीवन में गृहस्थ जीवन में आटे-दाल का भाव विवाह के कुछ समय पश्चात ही... Continue Reading →
सत्यकाम हमेशा विचलित करती है और अगर कोई व्यक्त्ति ईमानदारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बेहद संवेदनशील है तो उसे शायद इस सशक्त्त फिल्म को नहीं देखना चाहिये क्योंकि यह फिल्म भ्रष्टाचार, बेईमानी, कमजोरियों और समझौतापरस्ती के जिन्न के... Continue Reading →
नमकीन में कहानी के क्षेत्र में गुलज़ार को एक उम्दा कहानी समरेश बसु की तरफ से मिल गयी थी और उस कहानी को उन्होने बड़े ही मोहक, रोचक और प्रभावी अंदाज में दृष्यात्मक बनाकर दर्शकों के सामने एक संवेदनशील फिल्म... Continue Reading →
करीब सवा चार सदी पहले विश्व प्रसिद्ध लेखक विलियम शेक्सपियर द्वारा रोपे गये अंगूरों के बाग ( Comedy of Errors) से बीसवीं सदी के अस्सी के दशक में अंगूर लेकर गुलज़ार ने अपनी लेखकीय, निर्देशकीय और हास्य-बोध की प्रतिभा के... Continue Reading →
राज कपूर की इस सर्वश्रेष्ठ फिल्म के इस गीत के बोल लिखे थे हसरत जयपुरी ने। फिल्म में ऐसी परिस्थितियाँ बनती हैं कि नादिरा और नीमो द्वारा दी गयी पार्टी में राज कपूर, नरगिस को अपने साथ लेकर जाते हैं। वहाँ... Continue Reading →
दस्तक उन फिल्मों में से है जिन्हे (जिनकी कहानी को) चाहे पढ़ा जाये या देखा जाये वे एक गहरा असर पाठक और दर्शक पर छोड़ ही जाती हैं। उर्दू कथाकारों की मशहूर तिकड़ी (मंटो, कृष्ण चंदर और राजेन्द्र सिंह बेदी)... Continue Reading →
Recent Comments