शहतूत की शाख़ पे बैठी मीनाबुनती है रेशम के धागेलमहा-लमहा खोल रही हैपत्ता-पत्ता बीन रही हैएक-एक साँस बजाकर सुनती है सौदायनएक-एक साँस को खोल के, अपने तनपर लिपटाती जाती हैअपने ही तागों की क़ैदीरेशम की यह शायर इक दिनअपने ही... Continue Reading →
मैंने जब बंबई टॉकीज़ में क़दम रखा तो हिंदू मुस्लिम फ़सादाद शुरू थे। जिस तरह क्रिकेट के मैचों में विकटें उड़ती हैं बाव निडरियाँ लगती हैं। इस तरह उन फसादों में लोगों के सर उड़ते थे और बड़ी बड़ी आगें... Continue Reading →
इलाहाबाद में पहली बार जगजीत सिंह (सुप्रसिद्ध गजल गायक) को आमंत्रित किया गया था। सारा शहर आंदोलित था। कार्यक्रम का पास प्राप्त करने की होड़ मची थी। कार्यक्रम का आयोजन 'प्रयाग महोत्सव' के नाम पर प्रशासन की तरफ से हो... Continue Reading →
भारत में अक्तूबर उत्सवों की शुरुआत का ही माह नहीं होता बल्कि मौसम के लिहाज से भी ये महीना राहत भरा होता है| दिन में धूप सुहानी प्रतीत होना शुरू हो जाती है| व्यक्तिगत दुखों को छोड़ दें तो प्रकृति... Continue Reading →
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