सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई देखूँ तो एक शख़्स भी मेरा नहीं हुआ (जॉन एलिया) मनुष्य जीवन काटना हमेशा ही दुधारी तलवार पर चलने का काम है| एक तरफ जीवन अपने रस में मनुष्य को इस... Continue Reading →
पंचम संगीत के विशाल सागर में उठी वह तरंग रही है जो आज भी संगीत सागर में न केवल विद्यमान है बल्कि पुरजोर तरीके से संगीत सागर में हिलोरे मार रही है| सागर में उठी तरंगों के कारण अन्दर से... Continue Reading →
हिन्दी की सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी की लगभग बीस पृष्ठों में समायी कहानी – ‘ यही सच है ’ पर निर्देशक बासु चटर्जी ने दो घंटे से कुछ कम अवधि की एक बेहद रोचक, नाटकीय और दृश्यात्मक फ़िल्म बनाकर सिद्ध... Continue Reading →
फ़िल्म – ममता, में संगीतकार रोशन और गीतकार मजरुह सुल्तानपुरी ने सात गीत रचे और गीतों के बोल, उनकी धुनें और उनके गायन पक्ष, तीनों ही क्षेत्रों में हरेक गीत अपने आप में उम्दा श्रेणी का है| उनमें से एक... Continue Reading →
लता मंगेशकर भारत के पिछले सत्तर- अस्सी सालों के इतिहास का सबसे गौरवमयी नाम हैं जिन्होंने सामान्यजन तक बड़ी आसानी से संगीत कला की उंचाई पहुंचाई है| वे पूरे भारत, विश्व भर में फैले भारतीयों और भारतीय उपमहाद्वीप में बसने... Continue Reading →
प्रेम, चित्त को अब तक व्यक्ति द्वारा समझी गई सामान्य स्थिति से विचलित करता ही है| चित्त जब प्रेम में पड़ने के कारण विचलन में आ जाए तब दो स्थितियां हो सकती हैं| अगर व्यक्ति प्रेम का प्रत्युत्तर नहीं चाहता,... Continue Reading →
स्त्री-पुरुष के मध्य पनपे प्रेम पर उच्च स्तरीय लेखन करने की आकांक्षा के भाव से दुनिया का हर लेखक एवम कवि अवश्य ही गुज़रता है| हर लिखने वाला चाहता है कि वह एक अमर प्रेम गीत लिख दे फिर चाहे... Continue Reading →
इस गीत के स्त्री गायक संस्करण ने दर्शक को बरसात का आनंद खुले आसमान के नीचे दिलवाया है| गीत के लता मंगेशकर संस्करण का फिल्मांकन बम्बई के 1978-79 के दौर का दस्तावेज है| तब बारिश से बम्बई में आतंक नहीं... Continue Reading →
बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित फ़िल्म – मंजिल, के इस गीत का फिल्मांकन उस दौर के सामाजिक परिवेश के संकेत देता है| मित्र की शादी के समारोह में उसके घर पर आयोजित पार्टी में वे सबके कहने पर एकदम घरेलू माहौल... Continue Reading →
वर्तमान में गुलज़ार साब की फिल्मों को जब जब देखा जाता है, तब तब उनके अपने सिनेमाई क्लब के तीन सदस्यों क्रमशः संजीव कुमार, किशोर कुमार और राहुल देव बर्मन, का फ़िल्मी परिदृश्य पर न होना बेहद खलता है| गुलज़ार... Continue Reading →
अपनी किशोरावस्था से ही कुंदनलाल सहगल के गायन का दीवाना प्रशंसक बनने से मुकेश को दो बहुत बड़े लाभ हुए| एक तो दुःख के भाव को गायन में प्रदर्शित करने में उन्हें सहजता प्राप्त हो गई और दूसरे गीत में... Continue Reading →
पंचम द्वारा छोडी गयी संगीत की विरासत से इतना विशाल और गहरा सांगीतिक समुद्र संगीत प्रेमियों के लिए बन गया है कि संगीत का ककहरा सीखने से लेकर संगीत में पीएचडी संगीत पारखी लोग कर सकें, उनका संगीत इतना आश्वासन... Continue Reading →
यह अत्यंत मीठा गीत गुलज़ार साब के कुछ ऐसे गीतों में से एक है जिसके बोल सुनकर श्रोता को यह एहसास तो होता जाता है कि बात कुछ महत्वपूर्ण कही जा रही है लेकिन इस कृपा से वह वंचित रहता... Continue Reading →
कहते हैं जो दुनिया में है वह सब महाभारत में कहा या दर्शाया जा चुका है और जो वहाँ नहीं वह दुनिया में नहीं है| कुछ ऐसा ही भारत रत्न लता मंगेशकर के संगीत के बारे में कहा जा सकता... Continue Reading →
इलाहाबाद में पहली बार जगजीत सिंह (सुप्रसिद्ध गजल गायक) को आमंत्रित किया गया था। सारा शहर आंदोलित था। कार्यक्रम का पास प्राप्त करने की होड़ मची थी। कार्यक्रम का आयोजन 'प्रयाग महोत्सव' के नाम पर प्रशासन की तरफ से हो... Continue Reading →
भारत में अक्तूबर उत्सवों की शुरुआत का ही माह नहीं होता बल्कि मौसम के लिहाज से भी ये महीना राहत भरा होता है| दिन में धूप सुहानी प्रतीत होना शुरू हो जाती है| व्यक्तिगत दुखों को छोड़ दें तो प्रकृति... Continue Reading →
अँग्रेज़ भारत के विभिन्न हिस्सों पर अपना कब्जा बढ़ाते जा रहे थे और दिल्ली, लखनऊ जैसी महत्वपूर्ण जगह लोग मोहल्लों में, घरों में, बाज़ारों में मुर्गे लड़ाने में व्यस्त थे| इसका जिक्र ग़ालिब ने एक व्यक्ति पर कटाक्ष करते हुये... Continue Reading →
ग़ालिब के किशोरवय के काल में उनके ससुर द्वारा उनसे किए जाना वाले दोस्ताना और उनके प्रति सम्मान और प्रशंसा रखने वाले रुख ने ग़ालिब को एक शायर के विकसित होने वाले शुरुआती दौर में बेहद प्रोत्साहन दिया होगा| पिछले... Continue Reading →
‘सूरज की पहली किरण से आशा का सवेरा जागे’ जीनियस किशोर कुमार द्वारा रचित पंक्ति गागर में सागर भरने की उक्ति को चिरतार्थ कर देती है| धरा पर मानव जीवन पर छाए “कोविड-19” के गहरे धुंध भरे साये तले सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक... Continue Reading →
बड़े बाँध बनने से, माइनिंग के कारण, बहुत बड़े उद्योग लगने के कारण हुये स्थानीय लोगों के विस्थापन को नेहरू युग में देश में अन्यत्र रह रहे लोग महसूस भी न कर पाते होंगे| तब देश के नेता ने एक... Continue Reading →
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