क्या दिलीप कुमार और भारत रत्न के बीच कुछ फासले हैं? यह तो सर्वत्र स्वीकृत बात है कि हिन्दी सिनेमा में नायक की भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं में वे चुनींदा सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक रहे हैं बल्कि हिन्दी सिने... Continue Reading →
...[राकेश] ©
कहते हैं जो दुनिया में है वह सब महाभारत में कहा या दर्शाया जा चुका है और जो वहाँ नहीं वह दुनिया में नहीं है| कुछ ऐसा ही भारत रत्न लता मंगेशकर के संगीत के बारे में कहा जा सकता... Continue Reading →
कम अक्ल, रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ऐसी छोटी मोटी साजिश भरी हरकतें, जिन्हे सब जानते हों, करने वाले बुजुर्ग के चरित्र से दर्शक कैसे जान-पहचान कर पाएंगे? अगर वह अपना मुंह ढके रहे और आँखें भी बेहद मोटे चश्मे के... Continue Reading →
बचपन, बचपन से मोहब्बत और बचपन की मोहब्बतें तीनों का इंसान के जीवन में बहुत बड़ा शायद सबसे बड़ा स्थान है| बचपन की मोहब्बतों में आवश्यक नहीं कि यह किसी इंसान से ही मोहब्बत का मामला हो, यह किसी विधा... Continue Reading →
कुछ बातें होती हैं जो जीवन की दिशा बदल देती हैं| अभिनेता मनोज कुमार के सिनेमाई जीवन में भगत सिंह के जीवन पर फिल्म बनाने का अवसर आया और उस एक घटना ने उनके सिनेमाई जीवन की दिशा ही बदल... Continue Reading →
And they lived happily ever after… प्रेम कहानियों पर आधारित ज्यादातर फ़िल्में इस एक पंक्ति या इस एक समझ के साथ समाप्त होती हैं पर वास्तविक जीवन में गृहस्थ जीवन में आटे-दाल का भाव विवाह के कुछ समय पश्चात ही... Continue Reading →
आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता जब जुल्फ की कालिख में घुल जाये कोई राही बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता हँस-हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टूकड़े... Continue Reading →
यह बात निर्विवाद रुप से सत्य है कि प्रेमी ह्रदय के उदगार, चाहे वे खुशी से भरे हों या ग़म से, उन्हे प्रकट करने में मुकेश को फिल्मों में गायिकी आरम्भ करने के काल से ही महारत हासिल रही। दुखी... Continue Reading →
प्रकृत्ति में सौंदर्य बिखरा पड़ा है और विभिन्न तरीकों से प्रकृत्ति खूबसूरती की छटा बिखेरती है। कोई एक ही विशिष्ट वस्तु सुंदरता की प्रतीक नहीं है। ऐसी विशिष्टता पर पक्षी, पशु, पेड़, फूल, झील, नदी, पहाड़, और समुद्र आदि की... Continue Reading →
यह गीत हृषिकेष मुखर्जी की फिल्म फिर कब मिलोगी (1974) का है। इसे लिखा था मजरूह सुल्तानपुरी ने और संगीतबद्ध किया था आर.डी.बर्मन/पंचम ने। फिल्म में यह यह गीत दो बार आता है। पहली बार यह एकल गीत के रुप... Continue Reading →
https://youtu.be/E5N7k1V2bQk?si=NIqBLjz7NEJ-iMeR गायक- #मुकेश, गीतकार- #शैलेन्द्र, संगीतकार – #सलिल_चौधरी, सिनेमेटोग्राफर - #दिलीप_गुप्ता,और निर्देशक – #बिमल_राय, फिल्म - #मधुमती (1957) ...[राकेश]
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