बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित फ़िल्म – मंजिल, के इस गीत का फिल्मांकन उस दौर के सामाजिक परिवेश के संकेत देता है| मित्र की शादी के समारोह में उसके घर पर आयोजित पार्टी में वे सबके कहने पर एकदम घरेलू माहौल... Continue Reading →
क्या दिलीप कुमार और भारत रत्न के बीच कुछ फासले हैं? यह तो सर्वत्र स्वीकृत बात है कि हिन्दी सिनेमा में नायक की भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं में वे चुनींदा सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक रहे हैं बल्कि हिन्दी सिने... Continue Reading →
लूला, लंगड़ा, टुंडा, गूंगा, बहरा, काना, अंधा कहकर गाली देते हैं, अपमानित करने के लिए, अपने ही जैसे पूर्ण देह वाले इंसानों को लोग| पहले जिन्हें अपंग, विकलांग आदि कहती थीं, सरकारी परिभाषाएँ, अब “अपूर्ण अंगों” में किसी प्रकार... Continue Reading →
कम अक्ल, रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ऐसी छोटी मोटी साजिश भारी हरकतें, जिन्हे सब जानते हों, करने वाले बुजुर्ग के चरित्र से दर्शक कैसे जान-पहचान कर पाएंगे? अगर वह अपना मुंह ढके रहे और आँखें भी बेहद मोटे चश्मे के... Continue Reading →
हॉलीवुड के अभिनेताओं Rex Harrison एवं John Saxon तथा ग्लैमर की प्रतीक अभिनेत्री Gina Lollobrigida, और प्रसिद्ध सिनेमेटोग्राफर Harvey Genkins को बम्बई लाकर अगर कोई निर्देशक इस बात की घोषणा करे कि इन विश्व प्रसिद्ध सितारों और हिन्दी सिनेमा के... Continue Reading →
देव आनंद अभिनीत राज खोसला दवारा निर्देशित बम्बई का बाबू फिल्म की कहानी में राजिंदर बेदी और एम.आर कामथ ने O Henry की कहानी A Double Dyed Deceiver से प्रेरित प्रसंगों को रखा और इसमें इनसेस्ट के कोण का मिश्रण... Continue Reading →
हर बुरा भाव मनुष्य के भीतर ही बसता है, किसी भी किस्म का लालच हो वह उसके भीतर के संसार को निर्मित करता है| साधू अपने अंदर के इस कलुषित संसार का शोधन करता रहता है, उस शुद्धतम अवस्था को... Continue Reading →
सन 1984 के किसी दिवस की बात है| एक शिष्य अपने गुरु दवारा बसाए गये शहर में उनके आवास के बाहर रोते हुए गुरु की निजी सचिव से कह रहा है,” भगवान, ने मुझे किस मुसीबत में डाल दिया| मुझे... Continue Reading →
घर में लगे फोटो से जाहिर होता है कि या तो सत्तर वर्षीय वृद्ध पिता भास्कर बनर्जी (अमिताभ बच्चन) या उसकी अविवाहित पुत्री, जो कि उम्र के तीसरे दशक के किसी पड़ाव पर रुकी जिंदगी जी रही है, या दोनों... Continue Reading →
चाहे हिमालय के भव्य अस्तित्व का श्रंगार करती हुयी सूरज की किरणें हों या एल्प्स की वादियों की गोद को धीमी नाजुक आँच से मदमाती हुयी सूरज की किरणें हों, सुबह के सूरज की लालिमा के सौंदर्य का कहीं कोई... Continue Reading →
सिनेमा के भारतीय प्रेमी केन्द्र सरकार को धन्यवाद कह सकते हैं कि काफी समय से बीमार अभिनेता-निर्माता और निर्देशक शशि कपूर को अंततः उनके दवारा भारतीय सिनेमा को दिए गये उल्लेखनीय योगदान के कारण उनके प्रति न्याय करते हुए (और... Continue Reading →
बेहतरीन अभिनेत्री विद्या बालन के बहुत अच्छे अभिनय वाली फिल्मों में इश्किया और कहानी दोनों ही थ्रिलर्स होने के कारण अलग ही स्थान रखती हैं| निर्देशक सुजॉय घोष की फ़िल्म 'कहानी' दर्शक की उत्सुकता को अंत तक बाँध कर रखने... Continue Reading →
सत्तर का दशक बीत चुका था, अस्सी का दशक धड़ल्ले से आगमन कर गया था। अमिताभ बच्चन सफलता के पुष्पक विमान पर उड़ान भरते हुये हिन्दी सिनेमा में देवाधिदेव होने का मुकाम हासिल कर चुके थे। दर्शक उनकी हर नई... Continue Reading →
होटल ढ़ाबे के गंदे बर्तन साफ करता छोटू ट्रक, बस के ऑयल में सना हुआ छोटू कचरे के ढ़ेर में से खाना ढ़ूँढ़ता छोटू मैडम के बच्चों को नन्हे हाथों से खिलाता छोटू मालिक की डाँट खाता छोटू बाबा के... Continue Reading →
फुल्ल कमल, गोद नवल, मोद नवल, गेहूं में विनोद नवल ! बाल नवल, लाल नवल, दीपक में ज्वाल नवल ! दूध नवल, पूत नवल, वंश में विभूति नवल ! नवल दृश्य, नवल दृष्टि, जीवन का नव भविष्य, जीवन की नवल... Continue Reading →
नारी बिचारी है पुरुष की मारी है तन से क्षुधित है मन से मुदित है लपककर झपककर अंत में चित्त है (रघुवीर सहाय) पतझड़ को ही मौसम की स्थायी अवस्था मानकर विधवा माजू बी (नूतन) किसी तरह जीवन काट रही... Continue Reading →
उमा (जया भादुड़ी) अपने पति सुबीर (अमिताभ बच्चन) को घर ले जाने के लिये सुबीर की दोस्त चित्रा (बिन्दु) के घर आती हैं। उमा और सुबीर की शादी के स्वागत समारोह के बाद यह उमा और चित्रा की दूसरी ही... Continue Reading →
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