जीवन हमेशा ही पलक झपकते ही अपना रुख बदल लेता है| बस एक क्षण का समय ही पर्याप्त होता है जीवन की दिशा बदलने वाली घटना के घटित होने के लिए| आसानी से चल रहा जीवन एक तीव्र मोड़ ले... Continue Reading →
हर बुरा भाव मनुष्य के भीतर ही बसता है, किसी भी किस्म का लालच हो वह उसके भीतर के संसार को निर्मित करता है| साधू अपने अंदर के इस कलुषित संसार का शोधन करता रहता है, उस शुद्धतम अवस्था को... Continue Reading →
घर में लगे फोटो से जाहिर होता है कि या तो सत्तर वर्षीय वृद्ध पिता भास्कर बनर्जी (अमिताभ बच्चन) या उसकी अविवाहित पुत्री, जो कि उम्र के तीसरे दशक के किसी पड़ाव पर रुकी जिंदगी जी रही है, या दोनों... Continue Reading →
सपनों के पीछे दीवानगी की हद तक भागना जरुरी नहीं कि अच्छे कर्म ही कराये और कई बार “पैशन” ऐसे काम करने के लिये विवश कर देता है जो अगर अनैतिक न भी लगें पर कम से कम किसी देश... Continue Reading →
किसी भी परिवार के मुखिया की पत्नी उस घर की धुरी बन जाती है। मुखिया, उसकी संताने सभी लोग उस एक महिला के कारण आपस में जुड़ाव महसूस करते हैं। उन लोगों के आपस में एक दूसरे से अलग विचारधारायें... Continue Reading →
ऊँच-नीच के अंतर के सागर में गहराई तक डूबे भारतीय समाज में फिल्मी दुनिया भी इस बीमारी से अछूती नहीं रही है। वहाँ ऊँच-नीच के भेदभाव कुछ अलग तरीके के हैं। वहाँ नायक की भूमिकायें निभाने वाले अभिनेता, जो व्यवसायिक... Continue Reading →
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