Search

Cine Manthan

Cinema, Theatre, Music & Literature

Tag

Manna Dey

सभी सुख दूर से गुज़रे (Aarambh 1976) : दुःख ही जब जीवन का स्थायी भाव बन जाए

अपनी किशोरावस्था से ही कुंदनलाल सहगल के गायन का दीवाना प्रशंसक बनने से मुकेश को दो बहुत बड़े लाभ हुए| एक तो दुःख के भाव को गायन में प्रदर्शित करने में उन्हें सहजता प्राप्त हो गई और दूसरे गीत में... Continue Reading →

लता श्रुति-संवाद : लता मंगेशकर के संगीत संसार की कुंडली विवेचना

कहते हैं जो दुनिया में है वह सब महाभारत में कहा या दर्शाया जा चुका है और जो वहाँ नहीं वह दुनिया में नहीं है| कुछ ऐसा ही भारत रत्न लता मंगेशकर के संगीत के बारे में कहा जा सकता... Continue Reading →

Bawarchi (1972): दिल चोर बावर्ची!

सन 1972 से पहले ही भारत में हिंदी फिल्म उधोग के सुपर स्टार के रूप में राजेश खन्ना की अनूठी सफलता की चमक हिंदी सिनेमा के संसार को चुंधियाने लगी थी| आराधना के बाद राजेश खन्ना की लगभग हर फिल्म... Continue Reading →

Anand (1971) : जीने का अंदाज अंकुरित कर जाने वाला जिंदादिल

हृषिकेश मुकर्जी की उल्लेखनीय फिल्म – आनंद, का शीर्षक फिल्म के एक मुख्य किरदार आनंद (राजेश खन्ना) के नाम पर रखा गया है, जो अपने जीवन के गमों और अपनी परेशानियों को दरकिनार करके अपना जीवन इस ईश्वरीय वरदान वाले... Continue Reading →

किशोर कुमार : सवेरे वाली कुनमुनी, कुरमुरी लालिमा की छुअन जैसा गायन

चाहे हिमालय के भव्य अस्तित्व का श्रंगार करती हुयी सूरज की किरणें हों या एल्प्स की वादियों की गोद को धीमी नाजुक आँच से मदमाती हुयी सूरज की किरणें हों, सुबह के सूरज की लालिमा के सौंदर्य का कहीं कोई... Continue Reading →

कमर जलालाबादी

किसी भी गीत को उम्दा बनाने के लिये संगीतकार, गायक और गीतकार तीनों के बेहतरीन योगदान की जरुरत होती है और किसी एक का भी योगदान कमतर हो तो गीत की गुणवत्ता और आयु कम हो जाती है। तीनों में... Continue Reading →

Prahaar(1991): जय जवान जय ईमान

नाना पाटेकर द्वारा निर्देशित इकलौती हिंदी फिल्म- प्रहार, दर्शक को झिंझोड़ कर रख देती है। भारतीय सैनिकों पर बनी चंद श्रेष्ठ फिल्मों के समूह में प्रहार भी एक सम्मानित सदस्य बन चुकी है। कम बजट की बाधाओं के बावजूद मिलिट्री... Continue Reading →

दुनिया रंग रंगीली बाबा (धरती माता 1938) – के.एल.सहगल की कस्तूरी

पिछली सदी के तीस और चालीस के दशक में समूचा भारत कुंदनलाल सहगल की आवाज़ के मोहपाश में यूँ ही नहीं बंध गया था। के.एल सहगल की संवेदना से भरपूर भावप्रवण गायिकी और गंगोत्री में गंगा के जल जैसा शब्दों... Continue Reading →

Blog at WordPress.com.

Up ↑

%d bloggers like this: