प्रतीत तो ऐसा ही होता हैरचनाकार को कि उसके द्वारा ही रचा जा रहा हैपर क्या रचने वाला वास्तव में रचनाकार का “मैं” ही होता है?तब,कभी एक बाल मन,कभी एक किशोर मन,कभी एक युवा मन,कभी एक प्रौढ़ मन,और एक... Continue Reading →
शेरदिल: द पीलीभीत सागा और प्रकृति प्रेमी गुलज़ार : गुलज़ार घोषित रूप से 90 साल के हो गए हैं| आज भी वे अवसर मिलते ही पूरे संवदेना से हिंदी फ़िल्मी गीतों की सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए भी वर्तमान में... Continue Reading →
Recent Comments