ताजमहल अगर आपने देखा है तो यमुना के उस पार कुछ दीवारें आपको उठी हुई दिखाई पड़ी होंगी। कहानी यह है कि शाहजहां ने मुमताज के लिए तो ताजमहल बनवाया और अपने लिए, जैसा संगमरमर का ताजमहल है ऐसी अपनी... Continue Reading →
कोई राम हो सकता है या रावण, लेकिन दोनों के बीच कोई रास्ता नहीं है। हमारी परेशानी यह है कि हम अच्छी तरह जानते हैं कि हम राम नहीं हैं, लेकिन यह अहंकार को बहुत ठेस पहुँचाता है और मन... Continue Reading →
एक जुआघर में दो महिलाएं प्रविष्ट हुईं। होगी पेरिस की घटना। पहली महिला उत्सुक थी दांव लगाने को| दूसरी ने कहा कि दांव तो मैं भी लगाना चाहती हूं, लेकिन किस नंबर पर लगाना? पहली महिला ने कहा: मेरा तो... Continue Reading →
हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलतेअब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते (~इक़बाल अज़ीम) आधुनिक युग में जीवन की आपाधापी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि मेट्रो या बड़े नगरों की बात नहीं वरन छोटे शहरों, कस्बों... Continue Reading →
पुस्तकें पढने के साथ संगीत सुनना भी ओशो की पसंदीदा रुचियों में से एक रहा| बचपन में कई साल उन्होंने स्वंय बांसुरीवादन किया, लेकिन अपने एक प्रिय मित्र के नदी में डूब जाने के बाद उन्होंने बांसुरी को भी नदी... Continue Reading →
आदमी को, स्वाभाविक रूप से, एक शाकाहारी होना चाहिए, क्योंकि पूरा शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है। वैज्ञानिक इस तथ्य को मानते हैं कि मानव शरीर का संपूर्ण ढांचा दिखाता है कि आदमी गैर-शाकाहारी नहीं होना चाहिए। आदमी बंदरों... Continue Reading →
प्रश्न: आपने कहा कि बाह्य आचरण से सब हिंसक हैं। आपने कहा कि बुद्ध और महावीर अहिंसक थे। बुद्ध तो मांस खाते थे, वे अहिंसक कैसे थे? ओशो– मेरा मानना है कि आचरण से अहिंसा उपलब्ध नहीं होती। मैंने यह... Continue Reading →
राजनेता और पादरी हमेशा से मनुष्यों को बांटने की साजिश करते आए हैं| राजनेता बाह्य जगत पर राज जमाने की कोशिश करता है और पादरी मनुष्य के अंदुरनी जगत पर| इन दोनों ने मानवता के खिलाफ गहरी साजिशें मिलकर... Continue Reading →
समाजवाद और साम्यवाद : वही फर्क करता हूं मैं जो टी.बी. की पहली स्टेज में और तीसरी स्टेज में होता है, और कोई फर्क नहीं करता हूं। समाजवाद थोड़ा सा फीका साम्यवाद है, वह पहली स्टेज है बीमारी की। और पहली स्टेज पर बीमारी... Continue Reading →
ओशो बुनियादी तौर पर ही राजनीतिज्ञों के खिलाफ थे और सारी उम्र वे उनके खिलाफ बोलते ही रहे। उन्हें निशाना बनाते रहे। उनके ऊपर चुटकले बनाकर लोगों को शासकों की इस जाति के सामने मानव को आँखें मूँद कर समर्पण न... Continue Reading →
प्रिय, मौन आशीर्वाद है, लेकिन यह मौन तुम्हारे द्वारा रचा नहीं जा सकता| क्योंकि तुम तो स्वयं में शोर ही हो| इसलिए तुम कैसे मौन रच सकते हो? लेकिन तुम मौन का भ्रम अवश्य ही रच सकते हो| और मौन... Continue Reading →
मेरे एक कम्यूनिस्ट मित्र थे- वे वास्तव में बड़े बौद्धिक थे| उन्होंने बहुत सारी किताबें लिखीं, सौ के आसपास, और सारी की सारी कम्यूनिस्ट थीम से भरी हुई, पर अपरोक्ष रूप से ही, वे उपन्यासों के माध्यम से यह करते... Continue Reading →
मुझे एक युवक याद आते हैं| उनका नाम सुभाष चंद्र बोस था। वे एक महान क्रांतिकारी बने और मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है, क्योंकि वे भारत में एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने महात्मा गांधी का विरोध किया; वे देख सकते थे... Continue Reading →
अमेरिका में 1981 में ओशो के शिष्यों ने ओशो के लिए पी. आर. प्राप्त करने का आवेदन पत्र भरा था| 14 October, 1982 को Portland Oregon में इस सिलसिले में अमेरिकी इमिग्रेशन सर्विसेज़ ने ओशो का साक्षात्कार लिया और उनके एक प्रश्न ”क्या आप स्वयं को... Continue Reading →
ओशो ने व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई की रचना और एक अखबार में अपने विरुद्ध लिखे लेख को किस तरह लिया? 11 सितम्बर 1976 को पूना आश्रम में “अष्टावक्र महागीता” श्रंखला पर प्रवचनों की शुरुआत करते हुए पहले प्रवचन में ओशो ने परसाई जी के एक लेख की चर्चा की|... Continue Reading →
"वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था।मैंने पूछा, ”कहाँ रहे?... Continue Reading →
जब मैंने कहा, तकरीबन बीस बरस पहले, कि आदमी-आदमी समान नहीं हैं, भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई) ने मेरी आलोचना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया और कम्यूनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष – एस. ऐ . डांगे ने घोषणा की कि शीघ्र ही उनका दामाद,... Continue Reading →
कुछ लोगों में कहीं न कहीं जीवन को त्यागने की इच्छा का बीज छिपा रहता है और किसी भी तरह की समस्याओं से घिरने पर वह बीज अंकुरित हो उठता है और ऐसे लोगों में से कुछ लोग आत्मघात की... Continue Reading →
ओशो महावीर के जीवन के सहारे अपनी बात कहते हैं| महावीर के जीवन में एक घटना का उल्लेख है, जिस पर एक बहुत बड़ा विवाद चला। और महावीर के अनुयायियों का एक वर्ग टूट गया। और महावीर के पाँच सौ मुनियों... Continue Reading →
शिव कोई पुरोहित नहीं है। शिव तीर्थंकर हैं। शिव अवतार हैं। शिव क्रांतिद्रष्टा है, पैगम्बर है। वे जो भी कहेंगे, वह आग है। अगर तुम जलने को तैयार हो, तो ही उनके पास आना; अगर तुम मिटने को तैयार हो, तो ही उनके निमंत्रण को स्वीकार करना। क्योंकि तुम मिटोगे तो ही नये का जन्म होगा। तुम्हारी राख पर ही नये जीवन की शुरुआत है।
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