हिंदी सिनेमा में तीन ऐसे खुशनुमा चेहरों वाली अभिनेत्रियाँ रही हैं जिनके चेहरों पर उदासी कभी भी फ़बी नहीं और उनके उदास चेहरे देख दर्शक भी बैचेनी महसूस करने लगते हैं कि ये स्त्रियाँ हंस क्यों नहीं रहीं? क्योंकि उनकी... Continue Reading →
अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, लेखक एवं गीतकार मनोज कुमार के दूर के रिश्ते के भाई धीरज कुमार को हिंदी सिने-संसार में एक अभिनेता के रूप में याद करना चाहें तो थोड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है| सिने दर्शक उन्हें जानते पहचानते... Continue Reading →
प्रकाश झा की इस फ़िल्म हिप हिप हुर्रे में गुलज़ार स्क्रीनप्ले और संवाद+गीत लेखक के रूप में जुड़े हुए हैं सो बहुत हद तक यह गुलज़ार की भी फ़िल्म है| गुलज़ार की परिचय में जीतेंद्र के चरित्र को अपने योग्य नौकरी मिलने तक के काल में अपने... Continue Reading →
(4) मिली (1975): यहां हृषिदा ने अमिताभ को एक और जटिल किरदार- शेखर, निभाने को दिया। वह अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण अकेला रहने को मजबूर है और वह किसी से मिलना नहीं चाहता। वह कोई दुष्ट व्यक्ति नहीं है लेकिन जहां तक बाहरी दुनिया का... Continue Reading →
फ़िल्म- शर्त, रिस्टोर होकर ओटीटी पर पुनः प्रदर्शित हो तो इसे आज के समय में सही दर्शक और प्रशंसक मिल जायेंगे| ...[राकेश]
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