Cemetery of the Nameless :

ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में डेन्यूब नदी के किनारे एक ऐसी कब्रगाह है जहाँ ऐसे लोग दफन हैं जो किसी भी कारण से डेन्यूब में डूब कर मर गये और उनके शव नदी की मुख्य धारा से थोड़ा हट कर इस मुहाने पर पहुँच गये। इन लोगों की शिनाख्त नहीं हो पायी अतः इनके लिये यहीं एक कब्रगाह बना दिया गया और इसे Friedhof-der-Namenlosen (graveyard of the nameless – नामहीन लोगों की कब्रगाह) के नाम से जाना जाने लगा।

यहाँ उन लोगों को दफनाया गया है जो 1840 और 1940 के बीच डेन्यूब में बह कर डूब गए थे या जिनकी हत्या कर उन्हें नदी में डाल दिया गया| उनमें से कई अज्ञात रहे – यहाँ तक कि नामहीन भी।

तब से डेन्यूब का मार्ग बदल गया है, और अब यहाँ लाशें नहीं बहकर आती हैं। हालाँकि, कब्रिस्तान में कोई बदलाव नहीं हुआ है, यह ऊँचे पेड़ों से घिरा हुआ है। नामहीन लोगों के कब्रिस्तान में आख़िरी शव 1940 में दफ़नाया गया था।

यह कब्रिस्तान दुनिया में अपनी तरह का अनूठा है: कहीं और ऐसा स्थान नहीं है जो सिर्फ़ नदी में डूब कर मृत हो गए लोगों के लिए आरक्षित हो।

ऐसा अनुमान है कि सन 1840 के आसपास यह कब्रगाह अस्तित्व में आया और यहाँ करीब सन 1940 तक नामहीन और पहचानविहीन लोगों को दफनाया जाता रहा। 1940 के बाद से बह कर यहाँ आने वाले अंजान लोगों के शवों को वियना की केन्द्रीय शवगाह में ही दफनाया जाता है। वियना के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अडडे से बहुत दूर नहीं है यह जगह।

Richard Linklater की प्रसिद्ध फिल्म Before Sunrise ने इस जगह को और ज्यादा प्रसिद्धी प्रदान की और वियना की सैर करने वाले टूरिस्ट जो पहले इस जगह के बारे में नहीं जानते थे वे भी इस जगह के बारे में पूछ पूछ वहाँ जाने लगे।

भारत सहित कई देश ऐसे हैं जहाँ देश के प्रसिद्ध व्यक्तियों की कब्रों और समाधियों को भी ढ़ंग से नहीं सम्भाला जाता और एक वियना है जहाँ अंजान लोगों की कब्रगाह की भी ढ़ंग से देखभाल की जाती है। यह वहाँ के टूरिस्ट स्पॉटस में गिना जाता है। इस कब्रगाह का अस्तित्व एक राष्ट्र की अपने लोगों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। अपनी विरासत और ऐतिहासिक इमारतों को संजो कर रखने में भारत बेहद लचर देश है। यहाँ तो लोग ऐतिहासिक महत्व की इमारतों से ईँटे तक निकाल कर ले जाते हैं और सरकारें, सम्बंधित मंत्रालय, कार्यालय और प्रशासन आँखें मूँदे सोये रहते हैं। भारत समेत बहुत सारे देश ऑस्ट्रिया  जैसे योरोपियन देशों से सीख सकते हैं कि कैसे अपनी सांस्कृतिक और एतिहासिक विरासत को सहेज कर रखा जा सकता है।


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