नवंबर 1985 में तीन-चार दिन लगातार स्मिता पाटिल और राज बब्बर से मिलने के बाद उन पर एक संस्मरण लिखते समय हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकार श्री कृष्ण बिहारी को कहाँ मालूम था कि ठीक एक साल बाद विलक्षण स्मिता समूचे... Continue Reading →
फुल्ल कमल, गोद नवल, मोद नवल, गेहूं में विनोद नवल ! बाल नवल, लाल नवल, दीपक में ज्वाल नवल ! दूध नवल, पूत नवल, वंश में विभूति नवल ! नवल दृश्य, नवल दृष्टि, जीवन का नव भविष्य, जीवन की नवल... Continue Reading →
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