बाबू रसिकलाल को मैं उस वक्त से जानता हूं, जब वे लॉ कॉलेज में पढ़ते थे। मेरे सामने ही वकील हुए और आनन-फानन चमके। देखते-देखते बंगला बन गया, जमीन खरीद ली और शहर के रईसों में शुमार में शुमार होने... Continue Reading →
बाबू रसिकलाल को मैं उस वक्त से जानता हूं, जब वे लॉ कॉलेज में पढ़ते थे। मेरे सामने ही वकील हुए और आनन-फानन चमके। देखते-देखते बंगला बन गया, जमीन खरीद ली और शहर के रईसों में शुमार में शुमार होने... Continue Reading →
...[राकेश]
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