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#VijayAnand

मैं कुर्सी तेरे आँगन की (दीवाना, 14-20 दिसम्बर 1978)

1978 में प्रदर्शित राज खोसला निर्देशित फ़िल्म 'मैं तुलसी तेरे आँगन की' का साप्ताहिक (हास्य) पत्रिका 'दीवाना' में छपा पैरोडी रिव्यू सामने आया| इसमें कलाकारों द्वारा फ़िल्म में निभाये चरित्रों के नामों को बिगाड़ कर इस्तेमाल किया गया है, शायद... Continue Reading →

Jewel Thief (1967) : बेशकीमती संगीतमयी सस्पेंस थ्रिलर

अगर थ्रिलर फिल्मों की बात छिड़ ही जाए तो हिंदी सिनेमा मुख्य तौर पर दो हिस्सों में बंटता है, विजय आनंद की ज्वैल थीफ से पहले और इसके बाद| और दोनों ही कालों में एक भी फ़िल्म इसकी बराबरी में खड़े होने लायक नहीं... Continue Reading →

Guide(1965) : कुछ गीत और विजय आनंद (1)

कवि शैलेन्द्र सा महान गीतकार हो, सचिन देव बर्मन जैसा महान संगीतकार, जिसके गीतों की मिठास की प्रतियोगिता में उँगलियों पर गिने जा सकने वाले संगीतकार ही रहे हैं, साथ हो, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, जैसे महानतम गायक और एक एक गीत से फ़िल्म के संगीत... Continue Reading →

मिले दो बदन : Blackmail 1973

विजय आनंद ने एक निर्देशक के तौर पर अद्भुत गीतों को सिनेमा के परदे पर जन्माया है| विजय आनंद ने शुरू की नौ फ़िल्मों में से एक तीसरी मंजिल को छोड़कर शेष 8 फ़िल्में देव आनंद को नायक बनाकर ही बनाई थीं| तीसरी मंजिल भी निर्माता नासिर हुसैन और निर्देशक विजय... Continue Reading →

RimJhim ke Tarane leke

एक अकेली छतरी में जब आधे आधे भीग रहे थे, पंक्ति जब गुलज़ार ने रची होगी अपनी फ़िल्म इज़ाजत के एक गीत के लिए, तब बहत संभावना है इस बात की कि उनकी स्मृति में विजय आनंद की फ़िल्म काला बाज़ार... Continue Reading →

देव आनंद : अमर प्रेमी !

                         ...[राकेश]

देव आनंद : दिल की उमंगें हैं जवां

....[राकेश]

Chup (2022) : बात कुछ बिगड़ ही गई

कहते हैं हिटलर बचपन में एक चित्रकार बनना चाहता था लेकिन आर्ट स्कूल की प्रवेश परीक्षा में वह उत्तीर्ण न हो पाया और आर्ट स्कूल ने उसे अपने यहाँ प्रवेश देने से इनकार कर दिया| हिटलर के अन्दर एक ऋणात्मक... Continue Reading →

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