देव आनंद हिंदी सिनेमा के बड़े सितारों में फ़िल्म का विषय चुनने में सबसे साहसी अभिनेता रहे हैं| जिन विषयों की तरह सुपर स्टार मुंह करके सांस भी न लें कि अगर पत्रकारों को ऐसी भी भनक लग गयी कि उन्होंने स्क्रिप्ट नेरेशन में हिस्सा लिया है तो उनकी छवि बिगड़ जायेगी, उन विषयों पर देव आनंद ने धड़ल्ले से फ़िल्में बनाईं| फ़िल्म उद्योग ने तो उनको गाइड बनाने से भी रोकना चाहा था लेकिन वे अपने छोटे भाई विजय आनंद को साथ लेकर गाइड की कहानी लेकर उदयपुर की सैर पर निकल गए और पिछली आधी सदी से ज्यादा वक्त से दुनिया गाइड की दीवानी रही है| गाइड से पहले भी उन्होंने उस वक्त निषेध समझे जाने वाले विषयों पर बनी फिल्मों पर अभिनय किया और गाइड के बाद भी|
प्रेम पुजारी से वे अपनी निर्देश्कीय पारी शुरू कर चुके थे और विवादास्पद मुद्दे पर हरे राम हरे कृष्णा बना चुके थे जो सिने क्षेत्र के हर पहलू में हिट रही|
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बी आर इशारा जिस विषय को लेकर देव आनंद के पास पहुंचे थे उसने देव साब का दिमाग एक बार तो घुमा ही दिया होगा| लेकिन उस वक्त उन्हें अलग अलग और एक दूसरे से नितांत भिन्न विषयों पर फ़िल्में बनाने की धुन थी, और समाज में राजनीति और सामाजिक वर्जनाएं उथल पुथल के दौर से गुज़र ही रही थीं, सो उन्होंने इशारा जी के विषय पर फ़िल्म करने को हरी झंडी दिखा दी| देव साब के विश्वसनीय और अभिनेत्री जाहिदा के पति अमरजीत को फ़िल्म के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गयी|
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प्रेम शास्त्र के नायक सागर शर्मा (देव आनंद) के प्रसिद्द लेखक हैं जो अपने उपन्यासों की विषयवस्तु और उनके ट्रीटमेंट के कारण हर उम्र की अपनी महिला पाठकों में बेहद लोकप्रिय हैं| “प्रेम शास्त्र” सागर के एक उपन्यास का शीर्षक है|
“राइटर्स ब्लॉक” से गुज़र रहे सागर, अपने प्रकाशक के नए उपन्यास लिख कर देने के बार बार के दबाव से परेशान होकर एक हिल स्टेशन पर चले जाते हैं, जहां उनसे उम्र में काफी कम उम्र की एक नौजवान लडकी बरखा (जीनत अमान) जो उनके लेखन की प्रशंसक है, उन्हें पहचान कर उनसे ऑटोग्राफ लेती है और एक दो मुलाकातों में उनसे और ज्यादा प्रभावित होकर उनसे प्रेम करने लगती है और सागर द्वारा दोनों के बीच उम्र के बड़े अंतर (12 साल) को बताये जाने के बावजूद नजदीकी बढाती है| सागर भी तात्कालिक भावनाओं के सामने झुक जाता है और बरखा द्वारा पनपायी जा रही नज़दीकी से इनकार नहीं कर पाता| दोनों प्रेम में पड जाते हैं| दोनों को ही एक दूसरे के बीते जीवन के बारे में कुछ नहीं पता, वे एक स्त्री पुरुष की भांति एक जगह मिले हैं और उनमें प्रेम हो जाता है|
सागर के घर लौटने के बाद दर्शकों को पता लगता है कि सागर तो विवाहित है| सागर देश के क़ानून के मुताबिक़ तो विवाहित है लेकिन निजी स्तर पर उसका वैवाहिक जीवन अस्तित्व में नहीं है| उससे उम्र में बड़ी स्त्री नीलू (बिन्दू) से उसका केवल कागजी पति पत्नी का रिश्ता है जिसके कारण नीलू उसके घर में रहती है और उसके धन पर ऐश करती है|
फ़िल्म का एक अध्याय समाप्त!
दूसरे अध्याय के शुरू में ही सागर के घर पर नीलू एक लडकी को लेकर आती है उसे सागर से मिलाने| लडकी है बरखा!
बरखा और सागर एक दूसरे को देखकर इसलिए स्तब्ध रह जाते हैं कि नीलू सागर से कहती है कि मेरी बहन बरखा से मिलो, और बरखा से कहती है, मेरे डियर हसबैंड से मिलो सागर शर्मा|
दूसरा अध्याय मनोवैज्ञानिक द्वन्द उत्पन्न करने वाला है और एक रोमांचक थ्रिलर के अंश भी इसमें मिलते हैं|
सागर और बरखा पहले ही दोनों के बीच में नीलू के होने के सच से भौचक्के हैं कि सागर को अगला झटका मिलता है उसके डॉक्टर मित्र के द्वारा जो उसे बताता है कि नीलू अपनी बहन बरखा का एबोर्शन कराने उसके पास आयी थी और अगले दिन की डेट ले गयी है|
अब पिछले कुछ सालों के चर्चित शीना बोरा केस पर आयें| जैसा शीना बोरा केस में हुआ कि माँ ने अपने ही बेटी को अपने वर्तमान पति और दुनिया के सामने अपने बहन बता कर रखा|
फ़िल्म में एक भयानक मोड़ अता है जब सागर बरखा को एबोर्शन से रोकने के लिए नीलू से छिपकर उससे मिलता है और तब उसके सामने नया भावनात्मक बम फूटता है बरखा द्वारा राज जाहिर करने से कि नीलू उसे अपनी बहन बता कर ही समाज में परिचित करती है और उसे अभी तक दूर रखती आई है लेकिन नीलू उसकी माँ है!
सागर और बरखा को पता ही है कि बरखा सागर से ही गर्भवती है|
सागर का मन यह मानने से इनकार कर देता है कि बरखा नीलू जैसी मक्कार स्त्री की जैविक बेटी हो सकती है|
मानसिक द्वन्द से जूझते हुए विवश होकर उसे नीलू से मुठभेड़ करनी पड़ती है|
सागर और बरखा के सामने अब नैतिक प्रश्न हैं|
जैसा बरखा बता रही है कि नीलू उसकी माँ है तो सागर नीलू को तलाक देकर भी उससे विवाह कैसे कर सकता है?
सागर अपने बड़े भाई से कहता है कि कल्पना कीजिये कि जैसे मुझे और बरखा को पहले नहीं पता था कि हमारे बीच नीलू एक कॉमन फैक्टर है और हम कहीं किसी जगह मिल जाते हैं, और प्रेम में पड़कर तुरंत शादी कर लेते हैं और इस बीच नीलू की मृत्यू हो जाती है तो किसी को कुछ पता नहीं चला, सब ठीक है|
सागर का बड़ा भाई कहता है लेकिन यह पता लगने के बाद कि बरखा नीलू की बेटी है, और नीलू भी जीवित है, तब स्थिति बदल जाती है, सामाजिक रूप से अब तुम नीलू के पहले विवाह या रिश्ते से उत्पन्न बेटी से विवाह नहीं कर सकते|
सागर और बरखा के सामने अब यक्ष प्रश्न है नीलू यह पता लगाना कि बरखा का पिता कौन है|
नीलू तो सागर को बरखा के पिता का नाम बताकर उसके नीचे से जमीन खिसका देती है| लेकिन सागर का अंतर्मन कहता है कि धोखे से और उसे ब्लैकमेल करके उससे विवाह करने वाली नीलू बरखा की माँ नहीं हो सकती|
सागर को सच से पर्दा उठाना है और इसके लिए उसे सच जानना जरुरी है| और इस सच के अन्वेषण के लिए उसे आकाश पाताल एक कर देने हैं क्योंकि सारा समाज उसके ऊपर निगाह गडाए बैठा है|
इसमें पुलिस तो उसकी सहायता कर नहीं सकती उसे खुद ही सच को खोजना है|
सच जाकर अदालत में सिद्ध होता है|
जलेबी की तरह घुमावदार मोड़ों से गुज़कर फ़िल्म सच को सामने लाती है|
बाद में कई फ़िल्में बनीं जिनमें से यश चोपड़ा की लम्हे, हेमा मालिनी की दिल आशना है, टेल मी ओ खुदा और हॉलीवुड की मामा मिया जैसी फिल्में प्रमुख हैं जिनमें प्रेम शास्त्र में छुए विषय से प्रेरित तत्व मिलते हैं|
…[राकेश]
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