इससे पहले कि मैं कविता शुरु करुँ
मैं अपने साथ ले जाना चाहता हूँ तुमको
मौन के क्षण में,
उन सब लोगों के सम्मान में
जो मारे गये वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में
और पेंटागन में
पिछले सितम्बर की 11 तारीख को।


मैं गुज़ारिश करता हूँ तुमसे
मौन के क्षण
उन सबको अर्पित करने के लिये,
जिन्हें शोषित किया गया,
कैद में रखा गया,
जो गायब कर दिये गये
जो प्रताड़ित किये गये
जिनका बलात्कार किया गया
जिन्हें मार डाला गया
उस एक घटना के बदले के रुप में,
उन सब लोगों के लिये जो शिकार बने
अफ़गानिस्तान और अमेरिका में।

और अगर मैं जोड़ पाऊँ…

एक पूरा दिन मौन भरा!

उन हजारों फिलिस्तिनियों के लिये
जो मारे जा रहे हैं सालों से
अमेरिका के समर्थन से
इज़रायल के हाथों।


छह महीने मौन भरे!


उन पंद्रह लाख इराकियों के लिये,
जिनमें बच्चे सबसे ज्यादा शामिल थे,
जो कि मारे गये हैं
कुपोषण और भूखमरी से
क्योंकि ग्यारह साल से
अमेरिका ने उनके देश पर
व्यवसायिक एवम व्यापारिक प्रतिबंध
थोप रखे हैं।

इससे पहले कि मैं कविता शुरु करुं।
दो महीने मौन भरे

उन काले लोगों के लिये
जिनके जीवन नरक बने रंगभेद करने वाले द. अफ्रीका में,
जहाँ देश की सुरक्षा के नाम पर उन्हे अपने ही देश में
अजनबी बना दिया गया।


नौ महीनों का मौन

हिरोशिमा-नागासाकी में मरने वाले लोगों की स्मृति में,
वहाँ मौत ऐसे बरपी कि उसने कंक्रीट, स्टील, धरती और आदमी की खाल की हर परत उधेड़ डाली
और बचने वाले भी जिये नहीं।


एक मौन भरा साल

वियतनाम के उन लाखों लोगों के लिये,
जिन पर युद्ध थोपा गया,
जिन्हे आदत हो गयी अपने करीबियों के शव जलने की दुर्गंध सहने की
जिनके बच्चे इस दुर्गंध को सूँघकर ही बड़े हुये।


एक साल का मौन

कम्बोडिया और लाओस में मरने वालों के लिये
जो कि एक गुप्त युद्ध का शिकार बने….

श्श्श्श…कुछ मत कहो…
हमें उन्हे नहीं बताना चाहिये कि वे मृत लोग हैं।


दो महीने मौन भरे

कोलम्बिया में मारे गये लोगों के लिये
जिनके नाम, उनके शवों के ढ़ेर की तरह,
बढ़ते चले गये हैं और
हमारी ज़ुबान से फिसलते चले गये हैं।

इससे पहले कि मैं कविता शुरु करुं।
एक मौन भरा घंटा

एल-सल्वाडोर के लिये…


एक मौन भरी शाम

निकारागुआ के लिये…


दो दिन मौन भरे

ग्याटेमाल्टेकोस के लिये…
इनमें से किसी के भी नागरिकों ने
शांति के क्षण नहीं देखे जीते जी।


45 सेकेण्ड का मौन

आक्टियल,चियापास में मरने वालों के लिये

25 साल का मौन

उन करोड़ों अफ्रीकन लोगों के लिये
जिन्हे समुद्र में इतनी गहराई पर कब्रें मिलीं
जितनी ऊँचाई तक कोई इमारत आकाश को नहीं भेद सकती,
कोई डीएनए टैस्ट या दंत परीक्षा नहीं की जायेगी उनके अवशेषों की।
और उन लोगों के लिये
जो लटकाये और झुलाये गये
ऊँचे साइकोमोर पेड़ों से,
दक्षिण में, उत्तर में, पूर्व में और पश्चिम में…

सौ सालों का मौन…

उन करोड़ों मूल निवासियों के लिये
जिनकी जमीन और ज़िंदगियाँ छीन ली गयीं
पाइन रिज, वूंडेड नी, सैंड क्रीक, फालेन टिम्बर्स, और ट्रेल ऑफ टियर्स, जैसी शातिर योजनाओं के द्वारा
अब तो ये सब स्मृतियाँ हमारी सर्द हो चुकी
संवेदनाओं और चेतना को छू भी नहीं पातीं।

तो तुम्हें एक क्षण चाहिये मौन भरा?

और हमसे कुछ कहते नहीं बनता
हमारी ज़ुबानें लटक रही हैं हमारे मुँह से
हमारी आँखें कर दी गयीं हैं बंद
मौन भरा एक क्षण
और सब कवि मार दिये गये हैं
ड्रम तोड़ कर धूल-धूसरित कर दिये गये हैं।

इससे पहले कि मैं कविता शुरु करुं।
तुम्हें चाहिये मौन भरा क्षण


तुम शोक कर रहे हो
कि अब संसार पहले जैसा नहीं रहेगा
और हम सब भी आशा करते हैं कि
यह पहले जैसा नहीं रहेगा,
जैसा पहले था वैसा तो
बिल्कुल ही नहीं रहेगा।

क्योंकि यह 9/11 की कविता नहीं है

यह 9/10 की कविता है
यह 9/9 की कविता है
यह 9/7 की कविता है
यह 1492 को समर्पित कविता है।

यह कविता उस स्थिति के बारे में है
जो ऐसी कवितायें लिखने के लिये कारण बनती है
और अगर यह 9/11 की कविता है,

तब :


यह चिली में 1971 के 11 सितम्बर की कविता है
यह द. अफ्रीका में 1977 के 12 सितम्बर की कविता है
जब स्टीव बिको मारा गया था।
यह न्यूयॉर्क के आटिका जेल में 13 सितम्बर को मरने वाले ब्रदर्स की कविता है
यह सोमालिया के लिये 14 सितम्बर 1992 की कविता है
यह कविता है हर उस तारीख के लिये
जो राख बना दी गयी
यह कविता है उन 110 कहानियों को समर्पित
जो कभी बतायी नहीं गयीं
वो 110 कहानियाँ जिन्हे टैक्स्ट बुक्स में जगह नहीं मिली
वो 110 कहानियां जिन्हे CNN, BBC, The New York Times, और Newsweek ने नज़रअंदाज़ कर दिया।
यह कविता उस सुनियोजित साजिश को बाधित करने के लिये है।

और तुम्हें अभी भी अपने करीबी की मौत के लिये मौन भरा क्षण चाहिये?


हम तुम्हे दे सकते हैं
जीवन भर का खालीपन:
गुमनाम कब्रें,
लुप्त हो चुकी भाषायें,
जड़ से उखाड़ दिये गये पेड़ और इतिहास,
गुमनाम बच्चों के चेहरों पर मुर्दा भाव,
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरु करुँ
हम खामोश करा दिये जा सकते हैं हमेशा के लिये
और भूखे छोड़ दिये जा सकते हैं
ताकि समय खुद ही मार डाले हमें
और तुम अभी भी पूछते हो
हमसे खामोश रहने के लिये।

अगर तुम्हें मौन का एक क्षण चाहिये


तब बंद कर दो तेल का उत्सर्जन
बंद कर दो मशीनें और टेलीविजन
डूबा डालो युद्धपोत
स्टॉक मार्केट को नष्ट कर दो
चर्चों से और हर जगह से
संदेशों को हटा दो
ट्रेनों, और ट्रामों को हटा दो।

अगर तुम्हें एक मौन भरा क्षण चाहिये

तो टैको बैल की खिड़की ईँट से बंद कर दो
और कर्मचारियों को भुगतान करो उनकी हानि के लिये
बंद कर दो शराब की दुकानें
उखाड़ डालो
टाऊनहाऊसेज़, व्हाइट हाऊसेज़, जेलघर, पेंटहाऊसेज़ और प्लेब्वॉयज़।

अगर तुम्हें एक मौन भरा क्षण चाहिये

तो इसे ग्रहण करो
सुपर बाऊल वाले संडे के दिन,
4 जुलाई को,
Dayton की तेरह घंटों की सेल के अवसर पर,
और उस दिन जब तुम्हारे गोरे अंहकार को ग्लानि महसूस हो
मेरी क़ौम के काले खूबसूरत लोगों की भीड़ को देखकर।

अगर तुम्हें एक मौन भरा क्षण चाहिये


तब इसे अभी ले लो
इससे पहले कि यह कविता शुरु हो।
यहाँ मेरी आवाज़ की गूँज में
कदमताल करते जवानों के दो हाथ उठने के बीच के समय में
आलिंगनबद्ध दो शरीरों के मध्य की दूरी में,
यहाँ तुम्हारे लिये मौन है,
इसे ले लो
पर इसे इसकी सम्पूर्णता में ही लेना
इसकी श्रंखला काट कर नहीं।
अपने मौन को अपराध के शुरुआती चरण से जोड़ दो।
लेकिन हम,
आज की रात भी हम अपने मारे गये लोगों के लिये
गाने के अधिकार को बनाये रखेंगे।

एक्टिविस्ट कवि Emmanuel Ortiz की प्रसिद्ध कविता Moment of Silence [A Moment of silence, Before I start this poem]

हिंदी अनुवाद — …[राकेश]


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