सन 1962 के सितम्बर माह में कॉमनवेल्थ प्रधानमंत्रियों के सम्मलेन (Commonwealth Prime Ministers’ Conference, September 10 to 19, 1962) में भाग लेने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु लन्दन गए थे| उससे कुछ दिन पहले जय प्रकाश नारायण ने उन्हें एक पत्र लिखा था, जिसमें वे पंडित नेहरु से निवेदन करते हैं कि किसी विशेष मामले में जो निर्णय वे लेना चाहते हैं, उसे वे लन्दन जाने से पूर्व ही जनता को बता दें| उसी पत्र में वे यह भी बताते हैं कि विनोबा जी पाकिस्तान जा रहे हैं तो पंडित नेहरु द्वारा घोषणा करने से उन्हें वहां लोगों से जुड़ने में सहूलियत होगी| (विनोबा जी, भी सितम्बर 1962 में ईस्ट पाकिस्तान (बाद में बांग्लादेश), की यात्रा पर गए और वहां से लौट कर आसाम आये)|



जय प्रकाश नारायण के पत्र से यह स्पष्ट नहीं होता कि वे किस विशेष मामले की बात पत्र में कर रहे हैं? और नेहरु जी क्या घोषणा करने वाले थे?
लेकिन अगर अगस्त–सितम्बर 1962 की घटनाओं के डॉट्स को जोड़ें तो लन्दन जाने से पहले पंडित नेहरु ने घोषणा की थी कि भारतीय सेना को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वह भारतीय सीमाओं को चीनी अतिक्रमण से मुक्त करे और इस कार्य में यदि भारतीय सीमाओं में अनाधिकृत घुस आये चीनी सैनिक हिंसक रुख अपनाएँ तो भारतीय सैनिकों को प्रत्युत्तर में घुसपैठियों पर गोली चलाने की अनुमति है|
इसे फॉरवर्ड पालिसी कहा गया| भारत द्वारा अपनी सीमाओं पर चीनी घुसपैठ का सक्रिय विरोध करने के परिणामस्वरूप चीन ने भारत के विरुद्ध के एक पूरा युद्ध छेड़ दिया|
[Pandit Nehru declared that the Indian army had been instructed to “free our territory” and that troops were given discretion to use force against Chinese incursions into Indian territory. This statement, made during the escalating border dispute with China, signalled a shift towards a more assertive “forward policy”. ]
Discover more from Cine Manthan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Leave a comment