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Cinema, Theatre, Music & Literature

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Indian Cinema

Panchayat (2025) Season 4 : राजनीति की पेचीदा गलियाँ

पंचायत के सीज़न 4 का मुख्य शरीर ग्राम प्रधान के चुनाव के इर्दगिर्द पसरी राजनीति से बना है और बाकी उप-कथाएं इधर उधर पैर पसारती हैं| इस बार राजनीति के अखाड़े में ग्राम प्रधान के चुनाव में यूं तो आमने... Continue Reading →

‘पीयूष मिश्रा’,’दीपक तिजोरी’,आशुतोष गोवारिकर’ – ‘मैंने प्यार किया’

उपरोक्त उद्धरण पीयूष मिश्र के आत्मकथात्मक उपन्यास - तुम्हारी औकात क्या है, से लिए गए हैं| वे अपने कई साक्षात्कारों में भी सूरज बड़जात्या द्वारा निर्देशित "मैंने प्यार किया" की बाबत बता चुके हैं कि राजकुमार बड़जात्या मुंबई से दिल्ली... Continue Reading →

Rehana Sultan : सिनेमा से पहले, परदे के पीछे

~ © HK Verma हिन्दी अनुवाद - ...[राकेश] [श्री एच के वर्मा के अंगरेजी में लिखे लेख का हिंदी अनुवाद] HK Verma, an alumnus of FTII, is a renowned cinematographer who, earlier in his career, collaborated with celebrated cinematographer KK Mahajan on many great films by Mani... Continue Reading →

Special Ops (1-1.5-2) : हिम्मत है तो मुमकिन है!

अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिलहम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया जिगर मुरादाबादी का उपरोक्त शेर रॉ अधिकारी हिम्मत सिंह के चरित्र पर बखूबी फबता है| हिम्मत सिंह की शख्सियत मिथकीय गुणों वाली है| उनके गुण, उनका... Continue Reading →

राजेश खन्ना : नूरजहाँ और एक प्रेम कहानी

राजेश खन्ना ने बहारों के सपने (1967) से लेकर अनुरोध (1977) के बीच के दस सालों में तकरीबन दो दर्जन हिन्दी फिल्मों में हिन्दी सिनेमा के बेहद अच्छे रोमांटिक दृश्य सिनेमा के परदे पर जीवंत किये, वे संवाद से भरे... Continue Reading →

धीरज कुमार – का करूँ सजनी आये न बालम

अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, लेखक एवं गीतकार मनोज कुमार के दूर के रिश्ते के भाई धीरज कुमार को हिंदी सिने-संसार में एक अभिनेता के रूप में याद करना चाहें तो थोड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है| सिने दर्शक उन्हें जानते पहचानते... Continue Reading →

Bhool Chuk Maaf (2025)

जीवन में वास्तविक दुःख से घिरा ही न हो तो एक दर्शक, कॉमेडी फ़िल्म को अन्य वर्गों की फिल्मों की तुलना में कभी भी देख सकता है और अक्सर तो कॉमेडी फिल्मों को अन्य वर्गों की फिल्मों पर प्राथमिकता भी... Continue Reading →

ग्राम चिकित्सालय (2025) : अँधेरे में आशा की किरण का उजाला

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है (~फ़ैज़ अहमद फ़ैज़) TVF ने ग्रामीण जीवन पर आधारित अपनी वेब श्रंखलाओं में प्रेमचंद और श्रीलाल शुक्ला द्वारा ग्रामीण जीवन पर रचे साहित्य... Continue Reading →

Chintu Ji (2009): निर्देशक रंजीत कपूर से बातचीत (1)

थियेटर और हिंदी सिनेमा जगत के प्रसिद्द लेखक एवं निर्देशक रंजीत कपूर कुछ अरसा पहले दिल्ली आये थे तो उनसे लम्बी बातचीत हुयी, जिसमें उनकी एक फ़िल्म निर्देशक के तौर पर पहली फ़ीचर फ़िल्म - चिंटू जी, पर भी बात... Continue Reading →

दादा साहब फाल्के : लाइट्स…कैमरा…एक्शन!

साभार : Pratham Books Author: Rupali Bhave; Illustrator : Sunayana Nair Kanjilal; Translator: Deepa Tripathi

राज कपूर : श्रेष्ठ फ़िल्मी गीतों के निर्देशक

राज कपूर की फिल्मों के गीत विशाल जनसमूह के ह्रदय को छूने वाले गीत रहे हैं| महासागर जैसे उनके संगीत संसार से 2-3 झलकियाँ भी देख ली जाएँ तो उनकी फिल्मों के संगीत संसार से परिचित होने के लिए वे ही... Continue Reading →

रेजांग ला की लड़ाई (18 नवंबर 1962) = हक़ीक़त (1964)

परसेप्शन बहुत बड़ी बात है| 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया तो भारत उसका सैन्य मुकाबला करने के लिए उसके स्तर पर तैयार नहीं था| अंग्रेजों द्वारा कंगाली की कगार पर छोड़ दिया गया देश विकास के मार्ग... Continue Reading →

… मेरा नाम!

फ़िल्मी दुनिया में व्यवसायिक रूप से अपना असली नाम न रखकर, कोई अन्य नाम रखने की प्रथा पुरानी है| कई बार लोगों ने अपने कठिन लगते नामों को सरल रुप देने वाले नाम रख लिए, कभी उनके नाम वाला ही... Continue Reading →

आयातित – स्वदेशी : सोचा न था(2005)- नरेंद्र मोदी

निर्देशक इम्तियाज़ अली की सबसे पहली और सबसे अच्छी फ़िल्म - सोचा न थी, के क्लाइमेक्स में आपसी रिश्ते के लिए "कभी हाँ कभी ना" करते नायक (अभय देओल) और नायिका (आयशा टाकिया) नायक की कम्पनी के मुख्यालय से एक... Continue Reading →

Begunah (1957) : Booklet

मैं कुर्सी तेरे आँगन की (दीवाना, 14-20 दिसम्बर 1978)

1978 में प्रदर्शित राज खोसला निर्देशित फ़िल्म 'मैं तुलसी तेरे आँगन की' का साप्ताहिक (हास्य) पत्रिका 'दीवाना' में छपा पैरोडी रिव्यू सामने आया| इसमें कलाकारों द्वारा फ़िल्म में निभाये चरित्रों के नामों को बिगाड़ कर इस्तेमाल किया गया है, शायद... Continue Reading →

पंडित नेहरु और हिंदी फ़िल्में

पचास और साठ के दशक का हिंदी सिनेमा भी नेहरु के विशाल व्यक्तित्व के प्रभाव से अछूता नहीं रहा और हिंदी फिल्मों के नायकों का चरित्र भारत को लेकर नेहरुवियन दृष्टिकोण से प्रभावित रहा और उसमें चारित्रिक आदर्श की मात्रा डाली जाती... Continue Reading →

भीगा भीगा मौसम आया

हिंदी सिनेमा में नायक-नायिका की भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं की प्रसिद्द जोड़ियों में मिठुन चक्रवर्ती और रंजीता कौर की जोड़ी भी रही है, जिन्होंने अपने फिल्मी जीवन के शुरुआती दौर में बहुत सी फ़िल्में एक साथ कीं| यह कहना भी... Continue Reading →

1965 भारत-पाक युद्ध : FTII, ऋत्विक घटक का इस्तीफ़ा, शत्रुघ्न सिन्हा की खिचड़ी

1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान FTII (तब FII) में बेहद कठिन परिस्थितियों में आपसी संबंध पनपने का दौर: एक संस्मरण (HK Verma) [नोट : यह लेख श्री एच के वर्मा के अंगरेजी में लिखे लेख का हिंदी अनुवाद है| HK Verma,... Continue Reading →

जाने वाले सिपाही से पूछो (उसने कहा था 1960) – गीतकार शैलेन्द्र या मख़दूम?

बिमल रॉय निर्मित और मोनी भट्टाचार्जी निर्देशित फ़िल्म - उसने कहा था, हिंदी के लेखक चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' की एकमात्र उपलब्ध कहानी - उसने कहा था, पर आधारित है| सलिल चौधरी के मधुर एवं आकर्षक संगीत से सजी इस फ़िल्म... Continue Reading →

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