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#KrishnaBihari

देह विशेष की क़ीमत कुछ भी नहीं!

Painting : Man & Woman (Vincent Van Gogh)

मेरी राम कहानी…

© कृष्ण बिहारी

नेताजी सर्वधर्मसमभाव वाले

 © Krishna Bihari

एक सिरे से दूसरे सिरे तक – 1984 सिख विरोधी हिंसा

कुछ कहानियां पाठक को सन्नाटे के बियाबान में ले जाकर छोड़ देती हैं, जहाँ से उसे अपनी क्षमता के अनुसार इसके प्रभाव से बाहर आने में सफलता मिल पाती है| हिंसा के बारे में हरेक के किसी न किसी किस्म... Continue Reading →

दो औरतें : हिंदी साहित्य में हंगामा मचाने वाली कहानी

पिछली सदी के आख़िरी दशक के मध्य में आबू धाबी में हिन्दी अध्यापन के माध्यम से जीविकोपार्जन करते और लगातार लेखन के माध्यम से जीवन को रचनात्मक सृजन की ऊर्जा से सींचते कृष्ण बिहारी छुट्टियों में भारत आये तो दिल्ली... Continue Reading →

औरत को स्वतंत्र होने मत देना (कृष्ण बिहारी)

हिंदी – अबू धाबी में न्यायालय की तीसरी भाषा बन ही गई

मास्टर, डॉक्टर और पुलिस : भ्रष्टाचार के तीन स्त्रोत?

भगत सिंह की शहादत

सारे दिन उदास रहने के बादशाम भी अगर उदासी में गुजर जायेऔर हर पलअपनी खामोशी मेंठहर जायेतो लगता है किज़िंदगी का सबसे संवेदनशील हिस्साबगैर छटपटाए मर गया हैया फिरज़िंदगी की नस-नस मेंतेज ज़हर भर गया है। मैं नहीं जानता मेरे... Continue Reading →

हे कवि! कविता लिखो न…

‘प्रियंवद’ से परिचय ‘निकट’ से

कहानी आधारित प्रसिद्द त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका - निकट, ने बीते साल 2024 का अपना अंतिम अंक प्रसिद्द साहित्यकार 'प्रियंवद' के रचनाकर्म पर आधारित किया है| हिंदी साहित्य पढने वालों में से बहुतों ने शायद प्रियंवद का रचा पढ़ा न हो... Continue Reading →

प्रेम : अंततः पारदर्शी 

छुआ है जिस दिन से तुमनेमेरा मनसमा गयी है उष्णता तुम्हारीमुझमें। यह गरमी और इस आँच की खुश्बूकहाँ जाये?यह उम्र झूठ बोलने की नहीं हैपैंतालिस की उम्र मेंप्लेटॉनिक/ अदभुत प्रेमहोता नहींऔर जो होता हैलाख कोशिशों के बावजूदसोता नहीं।चाहता है एकांत... Continue Reading →

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