राजेश खन्ना ने बहारों के सपने (1967) से लेकर अनुरोध (1977) के बीच के दस सालों में तकरीबन दो दर्जन हिन्दी फिल्मों में हिन्दी सिनेमा के बेहद अच्छे रोमांटिक दृश्य सिनेमा के परदे पर जीवंत किये, वे संवाद से भरे... Continue Reading →
विश्व शांति के हम साधक हैं,जंग न होने देंगे!कभी न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी,खलिहानों में नहीं मौत की फसल खिलेगी,आसमान फिर कभी न अंगारे उगलेगा,एटम से नागासाकी फिर नहीं जलेगी,युद्धविहीन विश्व का सपना भंग न होने देंगे।जंग न... Continue Reading →
छैनू के भरोसे पतुनिया के लोगों ने श्याम के एक डेरे पर आक्रमण कर दिया और मार-काट मचाकर कई पुरुषों की ह्त्या कर, स्त्रियों को धमकी दे गए - श्याम को बता देना कि छैनू आया था, बहुत गर्मी है... Continue Reading →
भारत की अतिलोकप्रिय फ़िल्म "शोले" में गब्बर सिंह द्वारा उनके परिवार पर आतंकी हमले के कुछ अरसा बाद बदले की भावना से पीड़ित व परिजनों के सामूहिक क़त्ल के दुःख से कुंठित ठाकुर बलदेव सिंह अपनी सर्द आवाज़ में कहते... Continue Reading →
पिछली सदी में नब्बे के दशक के अंत में जब भारत और पाकिस्तान अपने अपने परमाणु अभियानों क्रमश: “शक्ति” और “गौरी” की आँच से तप रहे थे तो ग़ालिब के दो सदी बाद मनाये जाने वाले जयंती समारोह “अंदाज-ए.बयां” की मार्फत मशहूर... Continue Reading →
सन 1962 के सितम्बर माह में कॉमनवेल्थ प्रधानमंत्रियों के सम्मलेन (Commonwealth Prime Ministers' Conference, September 10 to 19, 1962) में भाग लेने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु लन्दन गए थे| उससे कुछ दिन पहले जय प्रकाश नारायण... Continue Reading →
पाकिस्तानी फ़िल्म "कमली" तीन मुख्य स्त्री चरित्रों और कुछ अन्य स्त्री चरित्रों, और उनके इर्द गिर्द कुछ पुरुषों की मेहमान भूमिकाओं जैसी उपस्थितियों को समेटे हुए स्त्री जगत को दर्शाती है| तीनों मुख्य स्त्री चरित्र अपनी अपनी कैद में हैं|... Continue Reading →
बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष के कारण छिड़े भारत-पाक युद्ध (1971) के दौरान भारतीय सेना ने न केवल रिकॉर्ड समय में इस युद्ध को जीता बल्कि दुनिया के किसी भी अन्य देश से ज्यादा बड़ा कारनामा दिखाते हुए पाकिस्तान की सेना से आत्मसमर्पण करवा कर लगभग 90000 युद्धबंदियों... Continue Reading →
जॉन मैथ्यू मेथन, ने फ़िल्म निर्देशक के रूप में अपनी पहली ही फ़िल्म - सरफ़रोश, से ऐसी चमक दिखाई कि उनसे बहुत बड़ी बड़ी अपेक्षाएं सिने प्रेमियों को बंध गयीं थीं| सरफ़रोश की पटकथा पर उन्होंने छः सात साल जम कर काम किया था... Continue Reading →
...[राकेश] पुनश्च : हाल में ऐसी ख़बरें थीं कि सुधीर मिश्रा ने कहीं कहा है कि वे इस फ़िल्म - ये वो मंजिल तो नहीं, को दुबारा बनायेंगे| ऐसा करने से बेहतर हो कि वे इस फ़िल्म को ओटीटी आदि... Continue Reading →
”आत्मा की शान्ति में नफा नुस्कान नहीं देखा जाता” (नंदू उर्फ़ नन्द किशोर खत्री, द ब्लू अम्ब्रेला) https://www.youtube.com/watch?v=6xJptj7AVSA https://www.youtube.com/watch?v=qRmPmm7QeIE निम्न वीडियो में जनरल सैम मानेक शॉ को सैनिकों और पाक युद्धबंदी सैनिकों संग देखा जा सकता है| उनकी... Continue Reading →
[ सालहा साल और एक लम्हाकोई भी तो ना इनमे बल आया खुद ही एक दर पर मैंने दस्तक दीखुद ही लड़का सा मैं निकल आया उर्दू शायरी के गुलशन में हज़ारों फूलों ने अहसास की अमिट खुशबू बिखेरी है... Continue Reading →
छूत की बीमारियाँ यों कई हैं; पर डर-जैसी कोई नहीं। इसलिए और भी अधिक, कि यह स्वयं कोई ऐसी बीमारी है भी नहीं-डर किसने नहीं जाना? – और मारती है तो स्वयं नहीं, दूसरी बीमारियों के ज़रिये। कह लीजिए कि... Continue Reading →
...[राकेश]
....[राकेश]
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