तुम महकती जवां चांदनी हो
चलती फिरती कोई रोशनी हो
रंग भी, रुप भी, रागिनी भी
जो भी सोचूँ तुम्हे तुम वही हो
तुम महकती जवां चांदनी हो

जब कभी तुमने नजरें उठायीं
आंख तारों की झुकने लगी हैं
मुस्कारायीं जो आँखें झुका के
साँसे फूलों की रुकने लगी हैं
तुम बहारों की पहली हँसी हो

नर्म आँचल से छनती ये खुशबु
मेरे हर ख्वाब पर छा गयी है
जब भी तुम पर निगाहें पड़ी हैं
दिल में एक प्यास लहरा गयी है
तुम तो सचमुच छलकती नदी हो

जब से देखा है चाहा है तुमको
ये फसाना चला है यहीं से
कब तलक दिल भटकता रहेगा
माँग लूँ आज तुम को तुम्ही से
तुम के खुद प्यार हो ज़िंदगी हो
चलती फिरती कोई रोशनी हो
रंग भी, रुप भी, रागिनी भी
जो भी सोचूँ तुम्हे तुम वही हो
तुम महकती जवां चांदनी हो

(Text) © CineManthan & Rakesh

 

 


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