Search

Cine Manthan

Cinema, Theatre, Music & Literature

Category

Language (Post)

The Great Shamsuddin Family

लखनऊ के इतिहासकार योगेश प्रवीण ने लखनऊ का एक पुराना किस्सा सुनाया जो बेहद लोकप्रिय हो गया| ******** "1920 में लखनऊ में पहली बार म्यूनिसिपैलिटी के चुनाव हुए तो चौक के इलाक़े से कारपोरेटर के चुनाव के लिये लखनऊ की मशहूर... Continue Reading →

JwarBhata(1944): दलीप कुमार की पहली फ़िल्म की समीक्षा

प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक बाबूराव पटेल ने दलीप कुमार की पहली फिल्म ज्वार भाटा (1944) की समीक्षा में दलीप कुमार की बेरहमी से आलोचना की थी| Review Courtesy : Jhinjhar @ IMDB

और क्या अहद-ए-वफ़ा होते हैं (सनी 1984) : धर्मेन्द्र फैक्टर

और क्या अहद-ए-वफ़ा होते हैंलोग मिलते हैं, जुदा होते हैं कब बिछड़ जाए, हमसफ़र ही तो हैकब बदल जाए, एक नज़र ही तो हैजान-ओ-दिल जिसपे फ़िदा होते हैं और क्या अहद-ए-वफ़ा होते हैं जब रुला लेते हैं जी भर के... Continue Reading →

धर्मेन्द्र : परदे पर स्त्री तिरस्कार का सामना

...[राकेश]

Baramulla (2025): अगर रूहें न होतीं तो क्या बात होती!

इंदिरा गांधी की वसीयत

तुम्हारा इंतज़ार है तुम पुकार लो : Khamoshi(1969)

...[राकेश]

नूरानांग दिवस और बाबा जसवंत की अदृश्य पहरेदारी

Dharmendra : Sholay(1975) – सफलता के कारवां का सबसे कम भाग्यशाली अभिनेता

संजीव कुमार : अभिनय कला की बारीकी के उस्ताद

ज़हीन आप के दर पर सदाएँ देते रहेजो ना-समझ थे वो दर-दर सदाएँ देते रहे (~वरुन आनन्द) संजीव कुमार और गुलज़ार की शानदार सिनेमाई जोड़ी की अंतिम दो प्रस्तुतियों में से एक है "नमकीन"| नमकीन में एक गीत है -... Continue Reading →

Doctor G (2022) : पुरुष स्पर्श का घुल जाना

कौन बदन से आगे देखे औरत कोसब की आँखें गिरवी हैं इस नगरी में (~हमीदा शाहीन) पश्चिमी देशों में ऐसे बहुत सारे पुरुष डॉक्टर्स मिलेंगे जो स्त्री-रोग विशेषज्ञ हैं, प्रसूति विभाग के अध्यक्ष हैं, बल्कि अक्सर ही सबसे ज्यादा जाने... Continue Reading →

Sulakshana Pandit : चेहरा है या फूल खिला है!

हिंदी सिनेमा में तीन ऐसे खुशनुमा चेहरों वाली अभिनेत्रियाँ रही हैं जिनके चेहरों पर उदासी कभी भी फ़बी नहीं और उनके उदास चेहरे देख दर्शक भी बैचेनी महसूस करने लगते हैं कि ये स्त्रियाँ हंस क्यों नहीं रहीं? क्योंकि उनकी... Continue Reading →

Taj Mahal : Osho

ताजमहल अगर आपने देखा है तो यमुना के उस पार कुछ दीवारें आपको उठी हुई दिखाई पड़ी होंगी। कहानी यह है कि शाहजहां ने मुमताज के लिए तो ताजमहल बनवाया और अपने लिए, जैसा संगमरमर का ताजमहल है ऐसी अपनी... Continue Reading →

सरदार पटेल : हम पर हिंदुस्तान की जिम्मेदारी आई है (नवम्बर 1947)

नवम्बर 1947 में सरदार पटेल द्वारा भारतीय रियासतों के भारतीय संघ में विलय के विषय पर दिए भाषण के अंश

राम – रावण : ओशो

कोई राम हो सकता है या रावण, लेकिन दोनों के बीच कोई रास्ता नहीं है। हमारी परेशानी यह है कि हम अच्छी तरह जानते हैं कि हम राम नहीं हैं, लेकिन यह अहंकार को बहुत ठेस पहुँचाता है और मन... Continue Reading →

मीडिया ऋणात्मक क्यों ? (डा. ए.पी.जे अब्दुल कलाम)

 प्रिय भारतवासियों आपसे दो शब्द कहने हैं! हमारे यहाँ मीडिया इतना ऋणात्मक क्यों है? भारत में हम लोग क्यों इतना अटपटा महसूस करते हैं अपनी क्षमताओं और उपलब्धियों को पहचानने में? हम एक महान देश हैं| हमारे पास अद्भुत सफलता की... Continue Reading →

देह विशेष की क़ीमत कुछ भी नहीं!

Painting : Man & Woman (Vincent Van Gogh)

Osho’s world of jokes -1

एक जुआघर में दो महिलाएं प्रविष्ट हुईं। होगी पेरिस की घटना। पहली महिला उत्सुक थी दांव लगाने को| दूसरी ने कहा कि दांव तो मैं भी लगाना चाहती हूं, लेकिन किस नंबर पर लगाना? पहली महिला ने कहा: मेरा तो... Continue Reading →

सहज विश्राम – ओशो + टैगोर

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलतेअब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते (~इक़बाल अज़ीम) आधुनिक युग में जीवन की आपाधापी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि मेट्रो या बड़े नगरों की बात नहीं वरन छोटे शहरों, कस्बों... Continue Reading →

The Ba***ds of Bollywood (2025) : A Satirical Model

नवोदित निर्देशक के तौर पर आर्यन खान ने आत्मविश्वास से भरी शुरुआत की है| उनकी वेब सीरीज की सामग्री को देखा जाए तो भाषा के स्तर पर वह कुछ वर्षों पूर्व AIB के एक कुख्यात कार्यक्रम जैसी है, जिसे अंततः... Continue Reading →

Blog at WordPress.com.

Up ↑