अध्याय 2- चलो दिल्ली ------------------------- शिल्पी, प्रोफ़ेसर मयंक के घर उनके स्टडी रूम में बैठी है| चारों ओर रैक्स में किताबें करीने से सजी हुयी हैं| शिल्पी के सामने एक छोटी गोल मेज पर पानी से भरा जग, एक कांच... Continue Reading →
अच्छा दीदी ये प्रोफ़ेसर मयंक हेल्प तो कर देंगे न| अरे बोला तो, तू कॉल कर लेना उन्हें, जो कुछ वे बता सकते हैं बताएँगे और किसी और ज्यादा बड़े जानकार का रेफरेंस देना होगा तो वह दे देंगे| कॉल... Continue Reading →
थियेटर और हिंदी सिनेमा जगत के प्रसिद्द लेखक एवं निर्देशक रंजीत कपूर कुछ अरसा पहले दिल्ली आये थे तो उनसे लम्बी बातचीत हुयी, जिसमें उनकी एक फ़िल्म निर्देशक के तौर पर पहली फ़ीचर फ़िल्म - चिंटू जी, पर भी बात... Continue Reading →
हिंदी सिनेमा में तवायफों के जीवन को हमेशा ही बहुत ग्लैमराइज़ किया गया था| श्याम बेनेगल ने हिंदी सिनेमा के उस तरीके से उलट 1983 में मंडी बनाकर प्रदर्शित कर दी और इसे देखना तवायफों का जीवन श्याम बेनेगल की... Continue Reading →
फ़िल्म – चेहरे, का विषय रोचक है और चार मुख्य चरित्रों में वरिष्ठ अभिनेताओं को देखना सुखद है और ज्यादा से ज्यादा ऐसे विषयों पर फ़िल्में बनें तो फिल्मों के स्तर में विविधता और ज्यादा गुणवत्ता आने की संभावना... Continue Reading →
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