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JwarBhata(1944): दलीप कुमार की पहली फ़िल्म की समीक्षा

प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक बाबूराव पटेल ने दलीप कुमार की पहली फिल्म ज्वार भाटा (1944) की समीक्षा में दलीप कुमार की बेरहमी से आलोचना की थी| Review Courtesy : Jhinjhar @ IMDB

फैज़ अहमद फैज़ : भारत यात्राएं

साभार : रविन्द्र कालिया कृत " ग़ालिब छुटी शराब "

Madhumati(1958): दिलीप कुमार की पतलून की खुली हुयी ज़िपर, शरारत या लापरवाही?

शाहरुख खान के एक विडियो साक्षात्कार/कांफ्रेंस से एक निकाला गया रील नुमा विडियो सोशल मीडिया पर अक्सर ही छाया रहता है जहाँ वे कहते पाए जाते हैं कि उन्होंने अमिताभ बच्चन से पूछा कि सर, स्टेज पर जाने से पहले... Continue Reading →

… मेरा नाम!

फ़िल्मी दुनिया में व्यवसायिक रूप से अपना असली नाम न रखकर, कोई अन्य नाम रखने की प्रथा पुरानी है| कई बार लोगों ने अपने कठिन लगते नामों को सरल रुप देने वाले नाम रख लिए, कभी उनके नाम वाला ही... Continue Reading →

वतन पर खतरे के समय फ़िल्म उद्योग के कर्त्तव्य

सन 1962 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु की वैश्विक शांति में आस्था पर चोट करते हुए उनके पंचशील के सिद्धांत को ठुकराते हुए पड़ोसी चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया| अंगरेजी हुकूमत से आज़ादी मिले डेढ़ दशक... Continue Reading →

1942 A Love Story : देश-प्रेम बनाम वैयक्तिक प्रेम

दो तरह के प्रेम (निजी प्रेम और देश प्रेम) के मध्य संघर्ष इस फ़िल्म के बुनियादी तत्वों में से एक है| प्रेम, देशप्रेम, और स्वतंत्रता आन्दोलन का संघर्ष की पृष्ठभूमि में देशप्रेम जब आहुति माँगता हो तो व्यक्तिगत प्रेम एक व्यसन की तरह... Continue Reading →

अमिताभ बच्चन-यश चोपड़ा: अभिनेता-निर्देशक गठबंधन

अभिनेता अमिताभ बच्चन और निर्देशक यश चोपड़ा की जोड़ी ने हिंदी फिल्मों के लिए एक बहुत ही उपयोगी संयोजन प्रस्तुत किया है| 1975 से 1981 के बीच इस जोड़ी ने जिन पांच फिल्मों दीवार, कभी कभी, त्रिशूल, काला पत्थर और सिलसिला में काम किया और इन पाँचों फिल्मों में अमिताभ ने नायक... Continue Reading →

Shakti(1982): दुःखजनित सन्नाटे से भरे वे 3 मिनट

दर्द हो दुख हो तो दवा कीजे फट पड़े आसमाँ तो क्या कीजे एक सिनेमा वैसा होता है जिसके लिए कहा जाता है Clash of the Titans. बड़े बड़े धुरंधर अभिनेता एक साथ अपने अभिनय के जौहर दिखाकर सिनेमा के परदे... Continue Reading →

Veer Zaara : Manoj Bajpeyee

मनमोहन देसाई की सुपरहिट फ़िल्म अमर-अकबर-एंथनी में एक दृश्य है जिसमें इन्स्पेक्टर अमर (विनोद खन्ना), एंथनी (अमिताभ बच्चन) को उसके मोहल्ले से पीट पाट कर लाकर हवालात में बंद कर देता है और हवालात से चोट खाया एंथनी, बाहर अपनी... Continue Reading →

Animal(2023) : Alpha Male & Swanand Kirkire

हिंदी फिल्मों में ही ऐसे उदाहरण मिल जायेंगे जहां किसी चरित्र का चित्रण समाज के लिए घातक लगेगा लेकिन फ़िल्में आती हैं चली जाती हैं, समाज अपनी मंथर गति से बदलाव देख,समझ, स्वीकार करके बढ़ता रहता है| आखिरकार तो सिनेमा... Continue Reading →

Yeh Woh Manzil To Nahin (1987) : अपराध बोध से भयभीत जीवन का पश्चाताप

                  ...[राकेश] पुनश्च : हाल में ऐसी ख़बरें थीं कि सुधीर मिश्रा ने कहीं कहा है कि वे इस फ़िल्म - ये वो मंजिल तो नहीं, को दुबारा बनायेंगे| ऐसा करने से बेहतर हो कि वे इस फ़िल्म को ओटीटी आदि... Continue Reading →

तुम कहाँ हो देव… दिलीप कुमार

देव आनंद को दिलीप कुमार की श्रद्धांजलि (10.12.2011) साभार सन्दर्भ : - 10 दिसंबर 2011 को द हिन्दू में अंगरेजी में छपी श्रद्धांजलि का हिंदी अनुवाद

Ghoomer (2023) :  अभिषेक को अमिताभ बच्चन के अभिनय के साये से बाहर निकलना ही होगा

                      ...[राकेश]

दिलीप कुमार : परिवार नियोजन

वर्तमान के अभिनेताओं से उलट, जो राजनीतिक रूप से उदासीन रहते हैं, अभिनेता दिलीप कुमार राजनीति में बेहद सक्रिय रहे| उन्होंने कांग्रेस के लिए बहुत से चुनावों में मोर्चा संभाल कर प्रचार किया| वे अपनी सामाजिक एवं राजनीतिक जिम्मेदारियों से... Continue Reading →

देव आनंद : अमर प्रेमी !

                         ...[राकेश]

देव आनंद : दिल की उमंगें हैं जवां

....[राकेश]

एंग्री ओल्ड मैन “अशोक कुमार” [Khatta Meetha (1978)] : अभिनय शानदार – 1

बासु चटर्जी निर्देशित फ़िल्म - ‘खट्टा मीठा’ को एक पारिवारिक हास्य फ़िल्म के रूप में ही देखा, समझा और याद किया जाता है| पारसी किरदारों पर बनी, अच्छे संगीत और स्वस्थ हास्य से भरपूर फ़िल्म| महान अभिनेता- अशोक कुमार, जिन्हें... Continue Reading →

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