लोकतंत्र नहीं आएगा

आज,

इस साल,

या

और कभी

…समझौतों और भय के द्वारा तो कभी नहीं आएगा! 

मेरा भी उतना ही अधिकार है

जैसे किसी और का है

अपने पैरों पर खड़े होने का

और जमीन का टुकड़ा लेने का!

 मैं थक जाता हूँ

लोगों को कहते देखकर –

कि सभी बातों को वक्त दो,

वे खुद से हो जाएँगी

कल किसने देखा है?

मुझे मरने के बाद स्वतंत्रता नहीं चाहिए

मैं कल के सपने पर जिंदा नहीं रह सकता!

स्वतंत्रता

एक बेहद शक्तिशाली बीज है

जो कि

बोया जाता है

सबसे ज्यादा जरुरत के समय! 

मैं भी यहाँ रहता हूँ

मुझे स्वतंत्रता चाहिए

जैसे कि तुम्हे चाहिए!

–  James MercerLangston Hughes’ –

(February 1, 1902 – May 22, 1967)

हिंदी अनुवाद – …[राकेश]


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