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Cine Manthan

Cinema, Theatre, Music & Literature

सहज विश्राम – ओशो + टैगोर

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलतेअब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते (~इक़बाल अज़ीम) आधुनिक युग में जीवन की आपाधापी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है कि मेट्रो या बड़े नगरों की बात नहीं वरन छोटे शहरों, कस्बों... Continue Reading →

The Ba***ds of Bollywood (2025) : A Satirical Model

नवोदित निर्देशक के तौर पर आर्यन खान ने आत्मविश्वास से भरी शुरुआत की है| उनकी वेब सीरीज की सामग्री को देखा जाए तो भाषा के स्तर पर वह कुछ वर्षों पूर्व AIB के एक कुख्यात कार्यक्रम जैसी है, जिसे अंततः... Continue Reading →

Mani Kaul : जहाँ सिनेमा एक ‘राग’ बन गया (HK Verma)

~ © HK Verma हिन्दी अनुवाद – …[राकेश] [नोट : यह लेख श्री एच के वर्मा के अंगरेजी में लिखे लेख का हिंदी अनुवाद है| HK Verma, an alumnus of FTII, is a renowned cinematographer who earlier in his career collaborated with celebrated cinematographer KK... Continue Reading →

वह भी देखेगा सुखद सपने?

मेरी राम कहानी…

© कृष्ण बिहारी

एक यक्ष प्रश्न है …

सावित्री मंदिर … पुष्कर

Saiyaara (2025) : मरज़-ए-इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे

दुखांत न भी हों लेकिन दुःख भरे मार्गों से गुजरने वाली प्रेम कहानियों पर आधारित महत्वपूर्ण हिन्दी फ़िल्में हर दशक में 2-3 के औसत से बनती ही आ रही हैं| कभी लता मंगेशकर के आयेगा आने वाला गीत (महल) को... Continue Reading →

नेताजी सर्वधर्मसमभाव वाले

 © Krishna Bihari

विनोद कुमार शुक्ल  के घर जो न जा पाएंगे

छोटी मगर गहरे भाव और अर्थ अपने में समाहित की हुयी कविता का उदाहरण देखना हो तो प्रसिद्ध लेखक विनोद कुमार शुक्ल की कविता “जो मेरे घर नहीं आयेंगें” तुरंत सामने आ जाती है| उनकी कविता दृश्यात्मक होते-होते एक अन्य दिशा पकड़... Continue Reading →

M F Husain : The White

हुसेन साहब के जलवे प्रदर्शनी का शीर्षक था - श्वेताम्बरी ! हुसेन साहब तब जॉन एलिया की नज़्म - रम्ज़ भी गुनगुना सकते थे | तुम जब आओगी तो सोया हुआ पाओगी मुझे मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ... Continue Reading →

गरीब बीड़ी और इसके धनी भाई बहन और विज्ञापन जगत

"धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है" जैसी वैधानिक चेतावनी उपभोक्ता के दिमाग में प्रविष्ट कराई जाए ऐसी प्रथा पहले नहीं होती थी| बीड़ी, तंबाकू को तेंदू पत्ते में लपेटकर बनाई जाती है, और यह भारत में एक लोकप्रिय तंबाकू उत्पाद... Continue Reading →

कुमार गन्धर्व : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

कुमार गन्धर्व का गायन सुनते हुए ... (सर्वेश्वरदयाल सक्सेना) https://youtu.be/fls_YUpVbvs?si=_24Cccm7-bf9Ltly

Pehla Pyaar < 1% Chance : दिल तो आशिक है

वो कमसिन हैं उन्हें मश्क़-ए-सितम को चाहिए मुद्दतअभी तो नाम सुन कर ख़ंजर-ओ-पैकाँ का डरते हैं [~ हाज़िक़] ओटीटी के भारत में पैर जमाने से दो अच्छे काम सिनेमा के माध्यम में हुए, एक तो बचपन को समाहित करने वाली... Continue Reading →

Maareesan(2025): Thrill के बोझ तले दबा Romanticism

हृषिकेश मुकर्जी द्वारा निर्देशित बावर्ची और बुड्ढा मिल गया जैसी फिल्मों को देखें तो दोनों में एक केन्द्रीय चरित्र है, जिसके बारे में उसके संपर्क में आने वाले अन्य चरित्र संदेह में रहते हैं कि जैसा यह व्यक्ति उनको दिखाई... Continue Reading →

चल अकेला, चल अकेला … मुकेश

जोड़ी तोर डाक शुने केऊ ना एशे तोबे एकला चोलो रे। तोबे एकला चोलो, एकला चोलो, एकला चोलो, एकला चोलो रे। (रविन्द्रनाथ टैगोर) चल अकेला, चल अकेला, चल अकेलातेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला हज़ारों मील लम्बे रास्ते तुझको... Continue Reading →

Panchayat (2025) Season 4 : प्रहलाद

उपन्यास में एक सहूलियत होती है कि लेखक घटनाओं को विस्तार दे सकता है, इधर उधर की व्याख्या या वर्णन कर जो दर्शाना है उसे ज्यादा गहराई और विस्तार से पाठक को समझा सकता है| एक कहानी जैसी कहानी तो... Continue Reading →

Gulzar@91 : सबने देखी है शब्दों से फैलती खुशबू

बंदिनी में सचिन देव बर्मन के साथ एक बेहद खूबसूरत गीत (मोरा गोरा अंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे) से फ़िल्मी गीत लिखने की शुरुआत करने वाले गुलज़ार पिछले 62 वर्षों से निरंतर संगीत निर्देशकों और फ़िल्म निर्देशकों... Continue Reading →

Music Teacher (2019) : देवदास सिंड्रोम

निर्देशक सार्थक दासगुप्ता की फ़िल्म - Music Teacher के पास, एक कहानी है, जिसे उन्होंने स्वंय ही लिखा है, और उसके भावों को विस्तार और गहराई से दर्शकों तक पहुंचाने के लिए अच्छे अभिनेता, शानदार कैमरा निर्देशक एवं स्वंय का... Continue Reading →

कृष्ण — (नज़ीर अकबराबादी)

~ (नज़ीर अकबराबादी)

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