छुआ है जिस दिन से तुमनेमेरा मनसमा गयी है उष्णता तुम्हारीमुझमें। यह गरमी और इस आँच की खुश्बूकहाँ जाये?यह उम्र झूठ बोलने की नहीं हैपैंतालिस की उम्र मेंप्लेटॉनिक/ अदभुत प्रेमहोता नहींऔर जो होता हैलाख कोशिशों के बावजूदसोता नहीं।चाहता है एकांत... Continue Reading →
अंततः कविराज, जैसे कि पढ़ाई के जमाने से ही वे सहपाठियों में पुकारे जाते थे, की पहली पुस्तक प्रकाशित हो ही गयी। सालों लग गए इस पुण्य कार्य को फलीभूत होने में पर न होने से देर से होना बेहतर!... Continue Reading →
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