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#Mukesh

चल अकेला, चल अकेला … मुकेश

जोड़ी तोर डाक शुने केऊ ना एशे तोबे एकला चोलो रे। तोबे एकला चोलो, एकला चोलो, एकला चोलो, एकला चोलो रे। (रविन्द्रनाथ टैगोर) चल अकेला, चल अकेला, चल अकेलातेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला हज़ारों मील लम्बे रास्ते तुझको... Continue Reading →

शैलेन्द्र : गीतकार की अमीरी-गरीबी, तीसरी कसम और मृत्यु

मजरुह सुल्तानपुरी को 1994 में दादा साहेब फालके पुरस्कार दिया गया तो उनकी आयु उस वक्त तकरीबन 75 साल की थी और फिल्मों में गीत लिखते हुए उन्हें लगभग 50 साल हो चुके थे| इस अवसर पर दूरदर्शन को साक्षात्कार... Continue Reading →

Shailendra A Love Lyric in Print : A Daughter Remembers

असमय मात्र 43 साल की आयु में मृत्यु हो जाने से या उनके द्वारा रचे गए उच्च गुणवत्ता के गीतों की उपस्थिति से, कारण जो भी रहा हो, गीतकार शैलेन्द्र को हिंदी फिल्मों के संगीत के रसिक लोग फ़िल्म बरसात... Continue Reading →

राज कपूर : श्रेष्ठ फ़िल्मी गीतों के निर्देशक

राज कपूर की फिल्मों के गीत विशाल जनसमूह के ह्रदय को छूने वाले गीत रहे हैं| महासागर जैसे उनके संगीत संसार से 2-3 झलकियाँ भी देख ली जाएँ तो उनकी फिल्मों के संगीत संसार से परिचित होने के लिए वे ही... Continue Reading →

जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली (1971): गीत

वी. शांताराम निस्संदेह दृश्यात्मक कल्पना के बेहद उच्च कोटि के सिनेमाई शिल्पी थे| वी.शांताराम की फ़िल्में, अभिनय और संवाद के लिए नहीं बल्कि उनके द्वारा प्रस्तुत दृश्यात्मक कल्पनाओं के लिए हमेशा सराही जायेंगी| एक आम दर्शक या फ़िल्म समीक्षक उनकी फिल्मों पर... Continue Reading →

ये कौन चित्रकार है : बूँद जो बन गई मोती (1967)

प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किताबों से पढ़कर बच्चे नहीं समझ सकते, लाख अध्यापक अच्छा हो लेकिन अगर बच्चों ने सुबह की बेला में सूर्योदय की हल्की से गहरी होती लालिमा से नारंगी होते जाते आकाश को अपनी आँखों से नहीं... Continue Reading →

अलका : भूलभुलैया में खो जाने वाली अभिनेत्री के अद्भुत गीत

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रेगिस्तानी हिमपात

अंततः कविराज, जैसे कि पढ़ाई के जमाने से ही वे सहपाठियों में पुकारे जाते थे, की पहली पुस्तक प्रकाशित हो ही गयी। सालों लग गए इस पुण्य कार्य को फलीभूत होने में पर न होने से देर से होना बेहतर!... Continue Reading →

कसमें वादे प्यार वफ़ा सब [उपकार (1967)] : किशोर कुमार की नासमझी, मन्ना डे की किस्मत  

  ...[राकेश]

लुट ही गये राम नाम की लूट के फेर में

मानवेंद्र, महाश्य जी के बहुत से किस्से चटखारे लेकर सुनाया करते, और बहुत बार तो महाश्य जी की उपस्थिति में ही, और महाश्य जी खुद भी अपने बारे में नमक मिर्च लगा कर सुनाये गए इन किस्सों को सुनकर ठहाके... Continue Reading →

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