




















सत्तर के दशक में बासु दा बहुत तेज रफ्तार से फिल्में बनाते थे और उनकी उस दौरान बनायी गयी फिल्मों की गुणवत्ता सराहनीय है। सत्तर के दशक की उनकी फिल्में बार बार देखी जाती हैं और तब भी न तो वे बासी लगती हैं और न ही ऊब पैदा करती हैं।
…[राकेश]
Discover more from Cine Manthan
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Leave a comment