किताब पर बनी फ़िल्म में यह अक्सर ही होता है कि किताब भारी पड़ जाती है और उसमें उपस्थित बातें परदे पर रूपांतरित नहीं हो पातीं| लेकिन ग्रहण कई बार किताब से ऊपर चली जाती है और किताब में संक्षिप्त... Continue Reading →
ऐसा हो जाता है कि कुछ रचते हुये उस ताने-बाने के कुछ रेशे रचियता को पसंद आ जाते हैं और वह उन्हे बाद में किसी और चीज के बुनने के लिये रख लेता है। उन पुराने रेशों से नये में... Continue Reading →
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