तेरे इश्क की एक बूँद
इसमें मिल गयी थी
इसलिये मैंने उम्र की
सारी कड़वाहट पी ली ….( अमृता प्रीतम)


कैसे रो रो के पिघलते हैं गुनाहों के पहाड़
आके देखे तो सही ये भी नज़ारा कोई


© …[राकेश]
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