Search

Cine Manthan

Cinema, Theatre, Music & Literature

Category

Song

बीड़ी जलाई ले, जिगर से पिया (Omkara 2006)

अच्छा फ़िल्मी गीत लिखना क्रिकेट की भाषा में ऐसा है कि ऐसा बल्लेबाज हो जो हर तरह की गेंद पर टीम की आवश्यकता के अनुसार रन बना सके| फ़िल्मी गीत महज कविता नहीं होती, और न वह कविता की तरह... Continue Reading →

फ़िल्मी गीतों के लेखन का स्तर

किसी को फिल्मों में गीतकार बनना हो तो वह शैलेन्द्र के ऊपर दिए गीत - हम तुझसे मोहब्बत करके सनम, जैसे गीत सुन कर प्रेरणा ले पायेगा, अपना शब्दकोश, भाव-कोश, और पद्य-संरचना की गुणवत्ता बढ़ा पायेगा या ऐसा वह अमिताभ... Continue Reading →

मेरे पास आओ (ये गुलिस्तां हमारा 1972)

मूलतः अभिनय के लिए जाने जाते डैनी की गायन प्रतिभा को भी सराहना मिलती रही है| फिल्म- काला सोना, में आशा भोसले संग गाया उनका गीत "सुन सुन कसम से" खासा चर्चित रहा है, इसे डैनी ने पर्दे पर खुद... Continue Reading →

लता मंगेशकर एवं भगत सिंह

https://www.youtube.com/watch?v=BUK8fS1C_vM

DevAnand@101 : लता मंगेशकर गीत देव आनंद के लिए

लता मंगेशकर ने गायन में अपनी एक अधूरी रह गई इच्छा के बारे में कहा था कि वे दिलीप कुमार के लिए गीत नहीं गा पायीं और यह संभव भी नहीं था क्योंकि कई अन्य अभिनेताओं की तरह दिलीप कुमार... Continue Reading →

अंखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे…

राजश्री प्रोडक्शन हाउस के अंतर्गत निर्माता ताराचंद बड़जात्या द्वारा निर्मित एवं हिरेन नाग द्वारा निर्देशित फ़िल्म, अंखियों के झरोखों से, मोटे तौर पर  Erich Segal के 1970 में प्रकाशित बहुचर्चित लघु उपन्यास Love Story, जिस पर हॉलीवुड में इसी नाम... Continue Reading →

RimJhim ke Tarane leke

एक अकेली छतरी में जब आधे आधे भीग रहे थे, पंक्ति जब गुलज़ार ने रची होगी अपनी फ़िल्म इज़ाजत के एक गीत के लिए, तब बहत संभावना है इस बात की कि उनकी स्मृति में विजय आनंद की फ़िल्म काला बाज़ार... Continue Reading →

चाय के बहाने (चिंटूजी 2009)

अंतरे जैसे मुखड़े से शुरू होकर गीत में तीन अंतरे और हों तो यह तो स्पष्ट ही है कि 2009 में प्रदर्शित फ़िल्म - चिंटूजी में इस गीत का अस्तित्व ऐसे ही समय काटने के लिए नहीं है, बल्कि गीत... Continue Reading →

डाकिया डाक लाया : गुलज़ार का लिखा ख़त लाया

गुलज़ार साब के गीत ऐसे होते हैं जो श्रोता और पाठक की भावनाओं को अपने साथ अपनी इच्छित दिशा में ले जा सकते हैं| गुलज़ार भावनाओं के ट्रैफिक के नियंत्रक कवि हैं| बहुत सी फ़िल्में ऐसी हैं जिनसे वे केवल एक गीतकार... Continue Reading →

हजार राहें जो मुड़ के देखीं : गुलज़ार खय्याम किशोर लता

https://youtu.be/t1O9anHPo_Y?si=Ht9OsaNyZPxw7Nd0

तुम बिन जाऊँ कहाँ (प्यार का मौसम 1969) : पंचम के पांच जादू

https://youtu.be/YQNb89xnKvQ?si=_hJcif396ONsLOzu https://youtu.be/62w7UB3h1xU?si=XWXMUsu8zu4-Cc8v https://youtu.be/WGH36wL6lHM?si=dK5CDvb2Rj9PBdvF https://dai.ly/x806f7z https://youtu.be/PZwoyWODUtE?si=9YEH7AVr_h3ACvoN                 ...[राकेश]

रोते रोते गुज़र गई रात रे [Buzdil (1951)]…

चेतावनी : कमजोर ह्रदय के श्रोता, विशेषकर प्रेम में वियोग झेल रहे व्यक्ति, और ऐसे व्यक्ति जिन्होंने कभी भी जीवन में सच में प्रेम को जीवन में जिया हो, इस गीत को रात की तन्हाइयों में लगातार न सुनें| उर्दू... Continue Reading →

दूर कोई गाये (बैजू बावरा 1952) : राधा बिन गूंगी कृष्ण की मुरलिया

दूर कोई गाए धुन ये सुनाए तेरे बिन छलिया रे बाजे न मुरलिया मन के अंदर हो प्यार की अग्नि नैना खोये-खोये के हाय रामा नैन खोये-खोये अभी से है ये हाल तो आगे राम जाने क्या होए नींद नहीं... Continue Reading →

जाग के काटी (Leela 2002) : विनोद खन्ना, जगजीत सिंह, और गुलज़ार, की महफ़िल का रतजगा

रिश्तों में गर्माहट का स्थान ठंडक और परस्पर दूरियां ले लें तो इसके लिए उपमा देने के लिए नई सदी में तो गुलज़ार ही श्रेष्ठ विकल्प हो सकते हैं| गुलज़ार के सृजन आवश्यक नहीं कि काल खंड पर सिलसिलेवार ही... Continue Reading →

कसमें वादे प्यार वफ़ा सब [उपकार (1967)] : किशोर कुमार की नासमझी, मन्ना डे की किस्मत  

  ...[राकेश]

चुनरी संभाल गोरी (बहारों के सपने 1967) : मन्ना डे (उत्सवधर्मिता), लता (भावों की बरसात) संग पंचम की संगीत मधुशाला

पंचम संगीत के विशाल सागर में उठी वह तरंग रही है जो आज भी संगीत सागर में न केवल विद्यमान है बल्कि पुरजोर तरीके से संगीत सागर में हिलोरे मार रही है| सागर में उठी तरंगों के कारण अन्दर से... Continue Reading →

रजनीगंधा फूल तुम्हारे  (रजनीगंधा – 1974) : जग ने देखी लता मंगेशकर की महकती गायिकी

https://www.youtube.com/watch?v=8PgqS4tcS54 ...[राकेश]

रहें न रहें हम, महका करेंगे (लता मंगेशकर) : ममता (1966)

फ़िल्म – ममता, में संगीतकार रोशन और गीतकार मजरुह सुल्तानपुरी ने सात गीत रचे और गीतों के बोल,  उनकी धुनें और उनके गायन पक्ष, तीनों ही क्षेत्रों में हरेक गीत अपने आप में उम्दा श्रेणी का है| उनमें से एक... Continue Reading →

ठीक नहीं लगता : लता मंगेशकर, गुलज़ार और विशाल भारद्वाज की खोई संपत्ति की पुनः प्राप्ति

प्रेम, चित्त को अब तक व्यक्ति द्वारा समझी गई सामान्य स्थिति से विचलित करता ही है| चित्त जब प्रेम में पड़ने के कारण विचलन में आ जाए तब दो स्थितियां हो सकती हैं| अगर व्यक्ति प्रेम का प्रत्युत्तर नहीं चाहता,... Continue Reading →

क्या जाग रही होगी तुम भी प्रिये ! (एक प्रेम गीत)

स्त्री-पुरुष के मध्य पनपे प्रेम पर उच्च स्तरीय लेखन करने की आकांक्षा के भाव से दुनिया का हर लेखक एवम कवि अवश्य ही गुज़रता है| हर लिखने वाला चाहता है कि वह एक अमर प्रेम गीत लिख दे फिर चाहे... Continue Reading →

Blog at WordPress.com.

Up ↑