मौन साधा परदे पर तो ऐसा कि सन्नाटे के छंद ही बुन दिए और बकर बकर बोल हास्य रचा तो ऐसा कि लगा अभिनेता दिलीप कुमार को ट्रेजडी किंग का खिताब कैसे दे दिया लोगों ने, यह अभिनेता तो हास्य... Continue Reading →
पिछली सदी के सत्तर के दशक में बी आर चोपड़ा ने एक बेहतरीन मर्डर मिस्ट्री बनाई थी – धुंध, जिसमें अपने पति के खून का आरोप है रानी (जीनत अमान) पर| २०१३ में फ़िल्म आई क्वीन, जिसकी दिल्ली वासी रानी... Continue Reading →
पंचम द्वारा छोडी गयी संगीत की विरासत से इतना विशाल और गहरा सांगीतिक समुद्र संगीत प्रेमियों के लिए बन गया है कि संगीत का ककहरा सीखने से लेकर संगीत में पीएचडी संगीत पारखी लोग कर सकें, उनका संगीत इतना आश्वासन... Continue Reading →
किताब पर बनी फ़िल्म में यह अक्सर ही होता है कि किताब भारी पड़ जाती है और उसमें उपस्थित बातें परदे पर रूपांतरित नहीं हो पातीं| लेकिन ग्रहण कई बार किताब से ऊपर चली जाती है और किताब में संक्षिप्त... Continue Reading →
तकरीबन तीन दशकों से “शेरनी” शब्द का सम्बन्ध श्रीदेवी और शत्रुध्न सिन्हा अभिनीत एक बेहद सामान्य और फ़ॉर्मूला छाप हिन्दी फ़िल्म से जुड़ा रहा है| अब जाकर विद्या बालन अभिनीत शेरनी फ़िल्म ने इस शब्द को सही मायने दिए हैं,... Continue Reading →
दक्षता, किसी भी क्षेत्र में हासिल की जाये, मुक्ति प्रदान करती ही करती है, नयी संभावनाओं के द्वार खोलती है, उड़ान भरने के लिए प्रेरित करती है| परिवर्तन लाने के लिए अवसर का होना भी आवश्यक है| अगर जेसिका (Amy... Continue Reading →
थल थल में बसता है शिव हीभेद ना कर क्या हिंदू-मुसलमांज्ञानी है तो स्वयं को जानवही है साहिब से पहचान [संत ललद्यद (1320-1392) कश्मीरी शैव भक्ति की संत कवियित्री]फ़िल्म -शिकारा, में तीस साल बाद अपने गाँव वापिस जाने वाले शिव... Continue Reading →
यह अत्यंत मीठा गीत गुलज़ार साब के कुछ ऐसे गीतों में से एक है जिसके बोल सुनकर श्रोता को यह एहसास तो होता जाता है कि बात कुछ महत्वपूर्ण कही जा रही है लेकिन इस कृपा से वह वंचित रहता... Continue Reading →
इंसान सिर्फ आनंद दायक वस्तुओं या घटनाओं में ही अटक कर नहीं रह जाता, बहुत बार तो जीवन में घटित ऋणात्मक भी जीवन को ऐसे घेरे में बाँध लेता है कि पीड़ित व्यक्ति बाकी सारी उम्र सिर्फ उस ऋणात्मक घटना... Continue Reading →
फ़िल्म “राम प्रसाद की तेहरवीं” के ढांचें में फ़िल्म “क्वीन” की रानी (कंगना रनौत) को रख दें तो “पगलेट” और इसकी नायिका संध्या (सान्या मल्होत्रा) की बुनियाद दिखाई देने लगेगी| फ़िल्म है तो एक युवा व्यक्ति – आस्तिक, की मृत्यु... Continue Reading →
सीमा भार्गव (अब पाहवा) ने “बड़की” के चरित्र में जिस क्रांतिकारी धारावाहिक “हम लोग” में काम किया, उसके पीछे भारत के हिन्दी के एक बहुत बड़े लेखक मनोहर श्याम जोशी की विद्वता, समाज शास्त्र और विशेषकर भारतीय समाज की विशद... Continue Reading →
O. Henry की विश्व प्रसिद्ध कहानी "The Gift of the Magi" जैसी कहानियों का पाठक के ऊपर एक विशेष असर होता है| साहित्य की दृष्टि से ऐसी कहानियां बड़ी सरल भले लगती हों पर उनमें कुछ ना कुछ ऐसा मानवीय... Continue Reading →
लघु फ़िल्म Juice (2017) के बाद निर्देशक - लेखक नीरज घायवान दर्शकों को सोचने विचारने के लिए प्रेरित करती हुई एक और स्त्री केन्द्रित फ़िल्म – गीली पुच्ची, लेकर आये हैं| एक लघु उद्योग में प्रोडक्शन विभाग में कार्यरत भारती... Continue Reading →
अमीर घराने की लड़की का घरेलू सहायक, ड्राइवर, चौकीदार आदि लड़के के साथ प्रेम दर्शाती फ़िल्में दिखाई दे जाएंगी| राजे रजवाड़ों के काल में राजा या राजकुमार का दासी संग प्रेम भी किस्से कहानियों का हिस्सा रहा है| राजा द्वारा... Continue Reading →
कहते हैं जो दुनिया में है वह सब महाभारत में कहा या दर्शाया जा चुका है और जो वहाँ नहीं वह दुनिया में नहीं है| कुछ ऐसा ही भारत रत्न लता मंगेशकर के संगीत के बारे में कहा जा सकता... Continue Reading →
शहतूत की शाख़ पे बैठी मीनाबुनती है रेशम के धागेलमहा-लमहा खोल रही हैपत्ता-पत्ता बीन रही हैएक-एक साँस बजाकर सुनती है सौदायनएक-एक साँस को खोल के, अपने तनपर लिपटाती जाती हैअपने ही तागों की क़ैदीरेशम की यह शायर इक दिनअपने ही... Continue Reading →
मैंने जब बंबई टॉकीज़ में क़दम रखा तो हिंदू मुस्लिम फ़सादाद शुरू थे। जिस तरह क्रिकेट के मैचों में विकटें उड़ती हैं बाव निडरियाँ लगती हैं। इस तरह उन फसादों में लोगों के सर उड़ते थे और बड़ी बड़ी आगें... Continue Reading →
इलाहाबाद में पहली बार जगजीत सिंह (सुप्रसिद्ध गजल गायक) को आमंत्रित किया गया था। सारा शहर आंदोलित था। कार्यक्रम का पास प्राप्त करने की होड़ मची थी। कार्यक्रम का आयोजन 'प्रयाग महोत्सव' के नाम पर प्रशासन की तरफ से हो... Continue Reading →
भारत में अक्तूबर उत्सवों की शुरुआत का ही माह नहीं होता बल्कि मौसम के लिहाज से भी ये महीना राहत भरा होता है| दिन में धूप सुहानी प्रतीत होना शुरू हो जाती है| व्यक्तिगत दुखों को छोड़ दें तो प्रकृति... Continue Reading →
Recent Comments