मैंने जब बंबई टॉकीज़ में क़दम रखा तो हिंदू मुस्लिम फ़सादाद शुरू थे। जिस तरह क्रिकेट के मैचों में विकटें उड़ती हैं बाव निडरियाँ लगती हैं। इस तरह उन फसादों में लोगों के सर उड़ते थे और बड़ी बड़ी आगें... Continue Reading →
दस्तक उन फिल्मों में से है जिन्हे (जिनकी कहानी को) चाहे पढ़ा जाये या देखा जाये वे एक गहरा असर पाठक और दर्शक पर छोड़ ही जाती हैं। उर्दू कथाकारों की मशहूर तिकड़ी (मंटो, कृष्ण चंदर और राजेन्द्र सिंह बेदी)... Continue Reading →
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