सम्पूर्ण परिवार के संग देखी जाने वाली चंद आधुनिक स्वस्थ हास्य फिल्मों में चिंटू जी को रखा जा सकता है| फिल्म की टैग लाइन - This film is part reality, part illusion and part fact, part fiction फ़िल्म को बेहतर... Continue Reading →
कोमल और प्रेममयी स्वर में टीचर : राजू तुम यहाँ क्या कर रहे हो? किशोर लड़का : मैडम मैं सर के सामने कंफैशन कर रहा था, मैंने पाप किया है| कहकर लड़का बाहर जाने लगता है जिससे उसे अपनी टीचर... Continue Reading →
कुछ बातें होती हैं जो जीवन की दिशा बदल देती हैं| अभिनेता मनोज कुमार के सिनेमाई जीवन में भगत सिंह के जीवन पर फिल्म बनाने का अवसर आया और उस एक घटना ने उनके सिनेमाई जीवन की दिशा ही बदल... Continue Reading →
विख्यात थियेटर निर्देशक (और अब फिल्म निर्देशक भी) और लेखक रंजीत कपूर की रगों में थिएटर एक तरह से बचपन से ही समाया हुआ था क्योंकि नाट्यशास्त्र और रंगमच की दुनिया से उनका सम्बंध तभी जुड़ गया था जब वे... Continue Reading →
श्री 420 के एक गीत की एक पंक्ति है ” एक तारा न जाने कहाँ खो गया “। 14 दिसम्बर 1924 को जन्मे राज कपूर की भौतिक शरीर रुपी उपस्थिति तो जरुर 2 जून 1988 को धरा से विलीन हो... Continue Reading →
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