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#RajKapoor

शैलेन्द्र : गीतकार की अमीरी-गरीबी, तीसरी कसम और मृत्यु

मजरुह सुल्तानपुरी को 1994 में दादा साहेब फालके पुरस्कार दिया गया तो उनकी आयु उस वक्त तकरीबन 75 साल की थी और फिल्मों में गीत लिखते हुए उन्हें लगभग 50 साल हो चुके थे| इस अवसर पर दूरदर्शन को साक्षात्कार... Continue Reading →

Shailendra A Love Lyric in Print : A Daughter Remembers

असमय मात्र 43 साल की आयु में मृत्यु हो जाने से या उनके द्वारा रचे गए उच्च गुणवत्ता के गीतों की उपस्थिति से, कारण जो भी रहा हो, गीतकार शैलेन्द्र को हिंदी फिल्मों के संगीत के रसिक लोग फ़िल्म बरसात... Continue Reading →

फैज़ अहमद फैज़ : भारत यात्राएं

साभार : रविन्द्र कालिया कृत " ग़ालिब छुटी शराब "

राज कपूर : श्रेष्ठ फ़िल्मी गीतों के निर्देशक

राज कपूर की फिल्मों के गीत विशाल जनसमूह के ह्रदय को छूने वाले गीत रहे हैं| महासागर जैसे उनके संगीत संसार से 2-3 झलकियाँ भी देख ली जाएँ तो उनकी फिल्मों के संगीत संसार से परिचित होने के लिए वे ही... Continue Reading →

… मेरा नाम!

फ़िल्मी दुनिया में व्यवसायिक रूप से अपना असली नाम न रखकर, कोई अन्य नाम रखने की प्रथा पुरानी है| कई बार लोगों ने अपने कठिन लगते नामों को सरल रुप देने वाले नाम रख लिए, कभी उनके नाम वाला ही... Continue Reading →

Satyam Shivam Sundaram(1978): सौन्दर्यशास्त्र पर टीका

अष्टावक्र का शरीर 8 जगह से झुका हुआ था इसलिए बचपन से ही उन्हें अष्टावक्र नाम से संबोधित किया जाता था| जब अष्टावक्र केवल 12 वर्ष के थे, तब वे राजर्षि राजा जनक के दरबार में चल रहे शास्त्रार्थ से अपने पिता को बुलाने गये| जनक के दरबार... Continue Reading →

तुम कहाँ हो देव… दिलीप कुमार

देव आनंद को दिलीप कुमार की श्रद्धांजलि (10.12.2011) साभार सन्दर्भ : - 10 दिसंबर 2011 को द हिन्दू में अंगरेजी में छपी श्रद्धांजलि का हिंदी अनुवाद

Animal(2023) : रनबीर से पहले दादा राज कपूर,पिता ऋषि कपूर, उनकी नायिकाएं और हिंसा

https://www.youtube.com/embed/DPoE8MS097I?si=LD0ZQzYHdGGpsLTD ...[राकेश]

देव आनंद : अमर प्रेमी !

                         ...[राकेश]

देव आनंद : दिल की उमंगें हैं जवां

....[राकेश]

रेगिस्तानी हिमपात

अंततः कविराज, जैसे कि पढ़ाई के जमाने से ही वे सहपाठियों में पुकारे जाते थे, की पहली पुस्तक प्रकाशित हो ही गयी। सालों लग गए इस पुण्य कार्य को फलीभूत होने में पर न होने से देर से होना बेहतर!... Continue Reading →

Chup (2022) : बात कुछ बिगड़ ही गई

कहते हैं हिटलर बचपन में एक चित्रकार बनना चाहता था लेकिन आर्ट स्कूल की प्रवेश परीक्षा में वह उत्तीर्ण न हो पाया और आर्ट स्कूल ने उसे अपने यहाँ प्रवेश देने से इनकार कर दिया| हिटलर के अन्दर एक ऋणात्मक... Continue Reading →

कसमें वादे प्यार वफ़ा सब [उपकार (1967)] : किशोर कुमार की नासमझी, मन्ना डे की किस्मत  

  ...[राकेश]

लुट ही गये राम नाम की लूट के फेर में

मानवेंद्र, महाश्य जी के बहुत से किस्से चटखारे लेकर सुनाया करते, और बहुत बार तो महाश्य जी की उपस्थिति में ही, और महाश्य जी खुद भी अपने बारे में नमक मिर्च लगा कर सुनाये गए इन किस्सों को सुनकर ठहाके... Continue Reading →

लता मंगेशकर : भारत का गौरव ही नहीं, स्वाभिमान भी

लता मंगेशकर भारत के पिछले सत्तर- अस्सी सालों के इतिहास का सबसे गौरवमयी नाम हैं जिन्होंने सामान्यजन तक बड़ी आसानी से संगीत कला की उंचाई पहुंचाई है| वे पूरे भारत, विश्व भर में फैले भारतीयों और भारतीय उपमहाद्वीप में बसने... Continue Reading →

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