बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित फ़िल्म – मंजिल, के इस गीत का फिल्मांकन उस दौर के सामाजिक परिवेश के संकेत देता है| मित्र की शादी के समारोह में उसके घर पर आयोजित पार्टी में वे सबके कहने पर एकदम घरेलू माहौल... Continue Reading →
अपनी किशोरावस्था से ही कुंदनलाल सहगल के गायन का दीवाना प्रशंसक बनने से मुकेश को दो बहुत बड़े लाभ हुए| एक तो दुःख के भाव को गायन में प्रदर्शित करने में उन्हें सहजता प्राप्त हो गई और दूसरे गीत में... Continue Reading →
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