पैंतीस साल का अरसा बहुत बड़ा होता है। कितने बड़े बड़े परिवर्तन हो जाते हैं इस लम्बे अरसे में। कितनी नई चीजें दुनिया में आ जाती हैं। अगर कोई सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है तो भले ही उसके चारों ओर परिवर्तन होते रहे हों और उसकी जिंदगी भी प्रभावित होती रही हो पर शायद उस पर इन परिवर्तनों को उतना भौचक्का होकर नहीं देखेगा जैसे कि ऐसा कोई व्यक्ति देखेगा जिसकी आँखों के सामने इन परिवर्तनों ने आकार नहीं लिया है और जिसने इन परिवर्तनों को बरस दर बरस निरंतरता से जिया नहीं हैं।
Eskiya मूलत: एक प्रेम कहानी ही है जिसमें एक डाकू, बारन (Şener Şen) सिर्फ इस इंतजार में पैंतीस सालों का लम्बा समय जेल में काट देता है कि बाहर निकल कर वह फिर से अपनी प्रेमिका, केजे (Sermin Şen), से मिल सकेगा। फिल्म में जहाँ एक ओर ऐसा अडिग प्रेम है जिसे कैदखाने की यातनायें भी हिला नहीं पायी हैं तो दूसरी ओर मित्रता की आड़ में किये जाने वाला धोखा है। पर बारन को इस धोखे की खबर जेलखाने से बाहर आकर ही पता चलती है।
जेल से छूटा बारन अपने गाँव को नये बनाये गये बाँध के पानी में डूबा हुआ पाता है। उसका दिल और बड़ा झटका खाता है जब उसे पता चलता है कि उसे जेल भिजवाने के पीछे उसके सबसे गहरे मित्र बेर्फो (Kamuran Usluer) की साजिश थी और जो उसे जेल भेजकर लूटे गये धन, और तिकड़म से उसकी प्रेमिका केजे को लेकर कहीं चला गया था। ऐसा माना जाता है कि वह इस्तानबुल भग गया था।
पैंतीस साल का अरसा जेल में काट आये बारन के अंदर प्रतिशोध की आग भड़कने लगती है और उसकी शेष बची ज़िन्दगी का उद्देश्य बन जाता है बेर्फो को खोजना और केजे से मिलना और फिल्म बारन की इसी यात्रा और उद्देश्य की कहानी दिखाती है।
पैंतीस साल बाद बारन के लिये नये जमाने के तौर तरीकों से तालमेल बिठाना कठिन है। उसकी ऐसी परेशानियाँ सुलझती हैं उसकी मुलाकात एक युवक कुमाली (Uğur Yücel ) से मिलने के बाद। कुमाली एक तरह से बारन और नये जमाने के बीच एक सेतु का काम करता है।
पैंतीस साल कोई अपनी प्रेमिका की याद के सहारे दिन काटता रहा हो तो ऐसे प्रेम की नाटकीयता अपने आप किसी भी कहानी की रीढ़ की हड्डी बन जायेगी। बारन के केजे और अपने उसके प्रति प्रेम के लिये अहसास इतनी अधिक सांद्रता लिये हुये हैं कि बारन तो चाहता ही है केजे से मिलना पर साथ ही साथ दर्शक के अंदर भी उस महिला को देखने की चाह फिल्म के कथानक की प्रगति के साथ बढ़ती जाती है जिसके लिये एक वृद्ध बारन इतना ज्यादा परेशान है।
अस्सी के दशक में मनमोहन देसाई द्वारा बनायी गयी कुली में कादर खान, वहीदा रहमान को उनके पति और बेटे से छीनकर ले आते हैं और वहीदा रहमान उस दुर्घटना में अपनी याददाश्त और बोलने की क्षमता खो बैठती हैं। बरसों कादर खान याददाश्त खोयी हुयी वहीदा को अपनी पत्नी के रुप में प्रचारित करके अपने पास रखते हैं।
Eskiya में भी कुछ कुछ ऐसा ही माहौल है केजे और बेर्फो के मध्य पर यहाँ कुली की तरह मसालाई तत्वों से नहीं छौंका गया है फिल्म के इस भाग को।
बेर्फो, बारन से प्रेम करने वाली केजे को उसके पिता से चालबाजी करके खरीद कर तो ले आता है और उसे अपने साथ रहने को विवश भी कर देता है परंतु केजे उसके साथ रह कर भी बारन का इंतजार करती है। उसे नहीं पता कि वह कभी बारन से मिल पायेगी या नहीं पर वह उसके प्रेम और अपने उसके प्रति प्रेम के सम्मान में एक कठिन निर्णय लेती है और उसका पालन करती है। बेर्फो के लिये यह बहुत बड़ी शिकस्त है कि केजे पैंतीस साल से उसके साथ एक ही घर में रहती है पर उसने इन सालों में एक बार भी ऐसा संदेश नहीं दिया कि वह इस जबरदस्ती को मान्यता देकर उसे कभी भी अपनायेगी।
बारन का बेर्फो से मिलना और उसकी बेहद शक्तिशाली शख्सियत को दरकिनार कर केजे से मिल पाना फिल्म में ऊर्जा लाते हैं। पर फिल्म इस मिलन पर ही खत्म नहीं होती बल्कि यहाँ से शुरु होते हैं प्रेम, दोस्ती और धोखे के नये अध्याय और फिल्म में रोचकता बढ़ती जाती है।
बारन एक बार कुमाली से कहता है कि यदि समय पर वह केजे से शादी कर पाता तो उसका भी कुमाली की ही उम्र का बेटा होता। बारन का कुमाली से मिलना और दोनों का एक तरह की मित्रता के बंधन में बंधना एक रुपक का कार्य करता है। कुमाली और उसके युवा साथियों के लिये ऐसा विश्वास करना भी हास्यास्पद लगता है कि वृद्ध बारन कभी डाकू था। बारन कभी अपनी युवावस्था में डाकू था और कुमाली लगभग उसी आयुसीमा पर खड़ा एक छोटे किस्म का अपराधी है जो बड़े हाथ मारना चाहता है।
बारन भी प्रेमी था और कुमाली भी पड़ोस में रहने वाली एक युवती से प्रेम करता है। कहीं न कहीं बारन की त्यागमयी प्रेम कहानी ने कुमाली के अंतर्मन को प्रभावित किया होगा। इतिहास अपने को दोहराता है बारन कभी मित्रता में धोखे से गुजरा था और कुमाली को प्रेम में ऐसे धोखे से गुजरना पड़ता है ।
कहते हैं कि मनुष्य के चरित्र में वफा है तो उसके द्वारा निभाये जाने वाले सभी रिश्तों में उसका स्पर्श आने लगता है और अगर बेवफाई चरित्र में शामिल है तो किसी भी रिश्ते में ऐसा व्यक्ति बेवफाई ही करेगा।
बारन की पँहुच की हदों में जब उसका वांछित है और उसके द्वारा सिर्फ एक कदम उठाना शेष है तब स्थितियाँ इस तेजी से करवटें लेती हैं कि बारन पेशोपश में फँस जाता है पर जो प्रेमी अपने प्रेम को पैंतीस सालों से संजोये जी रहा है उस प्रेम के पारस ने उसके चरित्र को खरा सोना ही बना दिया होगा।
बारन मानवता और सम्बंधों की कसौटी पर फिर से त्याग को वरीयता देता है और अपने युवा मित्र के जीवन की खातिर अपनी ज़िंदगी की खातिर अपने जीवन का सबसे बड़ा जुआ खेलता है अपने आज के दुश्मन और कभी के मित्र बेर्फो के साथ। पर दुष्ट अगर अपनी प्रवृति और प्रकृति को बदल दे तो फिर दुष्टता कहाँ जाकर ठोर ढ़ूँढ़ेगी? बारन को फिर से धोखा मिलता है और इस धोखे से घायल बारन को फिर से पैंतीस साल पुराने डाकू के कलेवर में दुश्मनों को परास्त करना है। एक वृद्ध डाकू एक तरफ है और दूसरी तरफ है जुर्म की दुनिया का शक्तिशाली डॉन और पुलिस महकमा।
बारन के वचन के पूरा होने के इंतजार में है केजे।
चारों तरफ से गोलियों की बौछार और आकाश में चारों तरफ दिखायी देती आतिशबाजी की चमक और गूँजती धमक के मध्य प्रेमियों की आँखें कुछ पलों के लिये एक दूसरे के साथ बँध जाती हैं, और मुक्त्त हो जाती हैं किसी भी अन्य किस्म के सांसारिक बंधनों से।
Eskiya तुर्की की तरफ से अधिकारिक तौर पर ऑस्कर में भेजी गयी थी और इसे तुर्की सिनेमा का पुनर्रोद्धार करने वाली फिल्म माना जाता है। बारन का चरित्र जहाँ फिल्म में एक लोक कथा के तत्वों का समावेश करता है वहीं कुमाली आदि चरित्रों और उनकी जीवन शैली आधुनिक तुर्की का प्रतिनिधित्व करते हैं और पुराने और नये दो किस्म के तत्वों का मिश्रण एस्किया को एक रोचक फिल्म बनाता है।
प्रेम और अपराध पर आधारित एस्किया प्रेम के आदर्श को स्थापित कर जाती है। फिल्म को पूरब और पश्चिमी सिनेमा का मिश्रण कहा जा सकता है। बारन केजे की प्रेम कहानी दंत कथाओं की तर्ज पर विकसित हुयी है जहाँ प्रेम के लिये ही जीने और प्रेम की ही खातिर मरने का भाव उभर कर आता है और अपराध जगत वाला भाग ऐसे विषयों पर बनी कितनी ही अच्छी फिल्मों की याद ताजा करा जाता है।
…[राकेश]
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