प्रेम को जानने के लिये प्रेम को अपने जीवन में महसूस करना जरुरी है और केवल पढ़ कर या सुनकर इसके बारे में ढ़ंग से नहीं जाना जा सकता। प्रेम को जीकर ही जाना जा सकता है। ज्यादातर मानवीय भावनायें... Continue Reading →
कवि दिनकर ने चेताया था कभी कहकर समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध जो तटस्थ हैं समय देखेगा उनके भी अपराध पर दिनकर की चेतावनी को ज्यादातर नज़रंदाज़ ही किया जाता है। तटस्थता को तो छोड़ ही... Continue Reading →
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