थप्पड़ : (बस इतनी सी बात), निर्देशक अनुभव सिन्हा की सामाजिक मुद्दों पर टीका टिप्पणी वाली श्रंखला की अगली कड़ी है जिसमें व्यावसायिक करियर के अपने स्वप्न पर अपने ऑफिस द्वारा नियंत्रण करने से बेहद नाराज़ युवक अपने ही घर... Continue Reading →
नवंबर 1985 में तीन-चार दिन लगातार स्मिता पाटिल और राज बब्बर से मिलने के बाद उन पर एक संस्मरण लिखते समय हिंदी के प्रसिद्द साहित्यकार श्री कृष्ण बिहारी को कहाँ मालूम था कि ठीक एक साल बाद विलक्षण स्मिता समूचे... Continue Reading →
यूँ तो महेश भट्ट ने इंसानी जीवन में जटिल रिश्तों की मौजूदगी पर हमेशा बेहतरीन फिल्में बनायी हैं जिनमें अर्थ, सारांश, जनम, नाम, काश, डैडी, तमन्ना और जख्म आदि महत्वपूर्ण हैं। इनमें भी अर्थ, जनम और जख्म को उनके अपने... Continue Reading →
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