बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित फ़िल्म – मंजिल, के इस गीत का फिल्मांकन उस दौर के सामाजिक परिवेश के संकेत देता है| मित्र की शादी के समारोह में उसके घर पर आयोजित पार्टी में वे सबके कहने पर एकदम घरेलू माहौल... Continue Reading →
हाल ही में दिवंगत श्री राजेन्द्र यादव, हंस पत्रिका के यशस्वी संपादक और प्रसिद्द हिंदी लेखक और चिन्तक, ने कहीं लिखा था कि अब तो अमृत नाहटा इस बात से ही इनकार करते हैं कि उन्होंने कभी "किस्सा कुर्सी का"... Continue Reading →
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