कल्पना कीजिये कि एक युवक की प्रेमिका परिस्थितिवश उसकी माँ बन जाये तो क्या हो? ऐसे रिश्ते से उपजे जटिल समीकरण को सुलझाने के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित दक्षिण और हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक एल वी... Continue Reading →
लता मंगेशकर भारत के पिछले सत्तर- अस्सी सालों के इतिहास का सबसे गौरवमयी नाम हैं जिन्होंने सामान्यजन तक बड़ी आसानी से संगीत कला की उंचाई पहुंचाई है| वे पूरे भारत, विश्व भर में फैले भारतीयों और भारतीय उपमहाद्वीप में बसने... Continue Reading →
शहतूत की शाख़ पे बैठी मीनाबुनती है रेशम के धागेलमहा-लमहा खोल रही हैपत्ता-पत्ता बीन रही हैएक-एक साँस बजाकर सुनती है सौदायनएक-एक साँस को खोल के, अपने तनपर लिपटाती जाती हैअपने ही तागों की क़ैदीरेशम की यह शायर इक दिनअपने ही... Continue Reading →
आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता जब जुल्फ की कालिख में घुल जाये कोई राही बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता हँस-हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टूकड़े... Continue Reading →
कौन है भारत में ऐसा जो हिन्दी सिनेमा के संगीत संसार में मौजूद नायाब खजाने से रुबरु हुआ हो और शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के (अलबेला-1951) , मुड़ मुड़ के न देख (श्री 420 - 1955), मेरा नाम चिन... Continue Reading →
शुरु से ही आशा भोसले की गायिकी उस ऊँचाई पर उड़ती रही है जहाँ से वह हरेक दौर में सक्रिय बड़े से बड़े संगीतकार को इठलाकर जताती रही है कि जनाब सृष्टि में हम भी श्रेष्ठ गायकों के साथ उपस्थित... Continue Reading →
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