हाल ही में दिवंगत श्री राजेन्द्र यादव, हंस पत्रिका के यशस्वी संपादक और प्रसिद्द हिंदी लेखक और चिन्तक, ने कहीं लिखा था कि अब तो अमृत नाहटा इस बात से ही इनकार करते हैं कि उन्होंने कभी "किस्सा कुर्सी का"... Continue Reading →