उपरोक्त शीर्षक का भावार्थ किया जाये तो ” खतरनाक गंजा ” एकदम उपयुक्त लगेगा। यह शीर्षक किसी जासूसी (बाल, किशोर या वयस्क) उपन्यास से उठाया गया लगता है। पर ये समझ लेना जरुरी है कि इन गंजे महोदय से खतरनाक... Continue Reading →
हरे-भरे वृक्षों की भरपूर जीवंत उपस्थिति से हिलोरें मारते पर्वतीय जंगल, मस्तक ऊँचा ताने खड़ी पर्वत की चोटियाँ, रहस्यमयी गहरी खाइयां, खुशगवार मौसम, गुगुदाकर जाती ठंडी हवाएं, कहीं तो चेहरे को छू-छू जाते बादल के टुकड़े, और कहीं ऊपर साफ... Continue Reading →
Recent Comments