जब स्वामी विवेकानंद बाद में बेहद प्रसिद्द हो जाने वाली शिकागो की यात्रा हेतु भारत से शिकागो वाया वैंकुवर पहुँच रहे होंगे तब भारत में सिनेमा अपनी पहली मुंह दिखाई कर रहा था| July 1896 के पहले सप्ताह में जब... Continue Reading →
सिनेमा, साहित्य की तरह उस काल का ही दर्पण नहीं होता कभी कभी वह वर्तमान को देख कर आगे की घटनाओं का पूर्व अनुमान भी लगा लेता है | वर्तमान में जो अमेरिका में घट रहा है वह बिलकुल भी... Continue Reading →
जैकी चैन के मनोरंजक सिने संसार में प्रवेश करने का कार्य इस फ़िल्म के माध्यम से पूरा किया जा सकता है| इस फ़िल्म में कई फिल्मों को देखने का आनंद प्राप्त होता है| इसमें स्पाई फिल्मों की रहस्यमय दुनिया है, साजिशें... Continue Reading →
कई साल पहले जब फ़ारुक शेख टीवी शो - जीना इसी का नाम है, को प्रस्तुत करते थे तब श्याम बेनेगल वाली क़िस्त में सेट पर आये अमरीश पुरी ने श्याम बेनेगल की फ़िल्म - भूमिका, के बारे में कहा... Continue Reading →
रिचर्ड एटनबरो की गांधी और बासु भट्टाचार्य एवं राजकुमार संतोषी ---------------------------------------------------------------------- 50 और 60 के दशक में हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक दिग्गज फ़िल्म निर्देशक और हर लिहाज से समर्थ निर्माता उपस्थित थे, बड़े काबिल लेखक फिल्मों के... Continue Reading →
जहाजी इश्क नहीं आसां, बर्फीले समुद्र में डूब ही जाना है टाइटेनिक जहाज की असली घटना की कहानी बीसवीं सदी की एक सबसे बड़ी दुर्घटना की कहानी है लेकिन जेम्स कैमरून की फ़िल्म टाइटेनिक इस दुर्घटना का सिनेमाई रूपांतरण होने... Continue Reading →
...[राकेश]
ओह्ह्ह्ह मुम्बई तो भारत का New York है और वहाँ नौकरियों का विस्फोट हो गया है अमेरिकी धनी Kit Hawksin अपने होटल में ठहरी हुयी भारत से अमेरिका गयी प्रिया से मिलने पर कहता है। मैं New York को अमेरिका... Continue Reading →
बुरे विचार, बुरे संस्कार और झूठी शानो-शौकत के भुलावे सात संमुदर पार भी पीछा नहीं छोड़ा करते। वे सब मनुष्य के साथ इस तरह स्थायी पैरहन की तरह चिपके रहते हैं जैसे कर्ण के साथ उसके कवच और कुंडल। दूसरे... Continue Reading →
व्यवसायिक फिल्मों के सुपर स्टार्स में से बिरले ही ऐसे होंगे जो अपनी बनी बनायी छवि को खुद ही तोड़ने की कोशिश करेंगे। अमेरिकी साहित्य का एक उपवर्ग है Southern Gothic और लेखक Thomas P. Cullinan ने इसी उपवर्ग के... Continue Reading →
व्यक्ति से बड़ी उसकी छवि होती है यह तो एक सिद्ध सी बात है और छवि अगर व्यक्ति के ऐसे विचारों से बने जो कि लाखों लोगों को प्रभावित करें या करने लगें तो व्यक्ति की छवि भी उसी अनुपात... Continue Reading →
जिन दर्शकों ने इसे न देखा हो, जब भी उनका मौका लगे उन्हें इस फिल्म की डीवीडी एकदम लपक लेनी चाहिये। बच्चे के मनोविज्ञान को बखूबी दर्शाती केवल 80 मिनट लम्बी फिल्म उन्हें मोह लेगी। ...[राकेश]
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