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Tagore

तुम्हारे लिए (हिमांशु जोशी) : गहन दुख में पगी एक प्रेमकथा

हिन्दी सिनेमा ने शरतचंद्र चटर्जी, टैगोर, बिमल मित्र, समरेश बसु, आदि बंगलाभाषी साहित्यकारों की रचनाओं पर आधारित फ़िल्में बनाई हैं और इन पुस्तकों के कारण ठोस विषय सामग्री मिल जाने के कारण इन सभी फिल्मों का स्तर सराहनीय रहा है|... Continue Reading →

Mumbai Varanasi Express (2016) : मौत के आगोश में संतुष्ट जाने का दर्शन

जीवन का खेल बड़ी तेजी से चलता है, जीवन के खिलौने एक के बाद एक पीछे गिरते जाते हैं, और भुला दिए जाते हैं| जीवन को जीने या जीवन को सुख सुविधा से भरपूर तरीके से जीने के साधन जुटाने... Continue Reading →

हमने देखी हैं उन आँखों की महकती खुशबू (Khamoshi 1969) : अनूठे मुखड़े से सजा प्रेमगीत ग्रंथ

रूप, स्पर्श, स्वर, स्वाद और गंध पांच ऐसे विषय हैं जिनके सम्मोहन से मनुष्य जीवन आदिकाल से बंधा हुआ है और अनंत काल तक, या जब तक धरती पर मनुष्य जीवन उपलब्ध है, बंधा ही रहेगा| यह सिद्ध रूप में... Continue Reading →

रांझा रांझा (Raavan 2010) : सूफी अद्वैत से फ़िल्मी द्वैत तक

पहुँचे हुये संतो, सिद्धों और सूफियों ने हमेशा अपने और प्रभु के बीच अद्वैत की कल्पना की है या बात की है या दुनिया को बताया है कि आत्मा परमात्मा के साथ एकाकार हो गयी है। वे लगातार स्तुति से,... Continue Reading →

Teen Deviyan (1965) : जब कुछ नहीं तो ये इशारे क्यों

टैगोर ने कभी लिखा था - A Lad there is and I am that poor groom That is fallen in love knows not with whom यह किशोरावस्था से युवावस्था की दहलीज पर खड़े युवाओं में से कुछ की मनोस्थिति को... Continue Reading →

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