फ़िल्म के अंतिम दृश्य में कैमरे की ओर पीठ करे सड़क पर जा रहे रूहानी सुकून देने वाले इत्र और सुरमा प्रदानकर्ता छन्नू खान (ओम पुरी) अचानक पलटते हैं और कैमरे की मार्फ़त अभिनेता ओम पुरी दर्शकों से मुखातिब होते... Continue Reading →
पहुँचे हुये संतो, सिद्धों और सूफियों ने हमेशा अपने और प्रभु के बीच अद्वैत की कल्पना की है या बात की है या दुनिया को बताया है कि आत्मा परमात्मा के साथ एकाकार हो गयी है। वे लगातार स्तुति से,... Continue Reading →
ऐसा हो जाता है कि कुछ रचते हुये उस ताने-बाने के कुछ रेशे रचियता को पसंद आ जाते हैं और वह उन्हे बाद में किसी और चीज के बुनने के लिये रख लेता है। उन पुराने रेशों से नये में... Continue Reading →
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