कल्पना कीजिये कि एक युवक की प्रेमिका परिस्थितिवश उसकी माँ बन जाये तो क्या हो? ऐसे रिश्ते से उपजे जटिल समीकरण को सुलझाने के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित दक्षिण और हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक एल वी... Continue Reading →
....[राकेश]
कोविड संक्रमण के काल में जब लोग अपने प्रियजनों को खोते या बेहद कष्ट झेलते देखते जा रहे हैं तब इस गीत के दुःख के भाव का मुकाबला कम ही गीत कर सकते हैं| https://www.youtube.com/watch?v=GCIfOieDiHU https://youtu.be/-aLz0LWE-Jg?si=qO3JIdKnxhKaRLyR https://youtu.be/VQyheTapPkE?si=r0YQdFw2-iDKF1kc (Text) © CineManthan & Rakesh
पुस्तक संगीत के सामान्य श्रोता को यह आसान ढंग से संगीत के शास्त्रीय तत्वों की जानकारी उपलब्ध करा देती है और गीतों के नोटेशन्स और लता के गायन की बारीकियों को उजागर करके संगीत के पारखी श्रोताओं को भी ज्ञान... Continue Reading →
बड़े बाँध बनने से, माइनिंग के कारण, बहुत बड़े उद्योग लगने के कारण हुये स्थानीय लोगों के विस्थापन को नेहरू युग में देश में अन्यत्र रह रहे लोग महसूस भी न कर पाते होंगे| तब देश के नेता ने एक... Continue Reading →
रमैय्या वस्तावैया, रमैय्या वस्तावैया मैंने दिल तुझको दिया, मैंने दिल तुझको दिया ओ रमैय्या वस्तावैया, रमैय्या वस्तावैया नैनों में थी प्यार की रौशनी तेरी आँखों में ये दुनियादारी न थी तू और था, तेरा दिल और था तेरे मन में... Continue Reading →
किसी भी गीत को उम्दा बनाने के लिये संगीतकार, गायक और गीतकार तीनों के बेहतरीन योगदान की जरुरत होती है और किसी एक का भी योगदान कमतर हो तो गीत की गुणवत्ता और आयु कम हो जाती है। तीनों में... Continue Reading →
तुम जहाँ हो वहाँ क्या ये मौसम नहींक्या नज़ारे वहाँ मुस्कुराते नहींक्या वहाँ ये घटायें बरसती नहींक्या हम तुम्हे कभी याद आते नहींतुम जहाँ हो वहाँ क्या ये मौसम नहीं ये जमाना हमेशा बेदर्द हैदर्दे दिल पे हाथ रखता नहींदिल... Continue Reading →
तुम महकती जवां चांदनी होचलती फिरती कोई रोशनी होरंग भी, रुप भी, रागिनी भीजो भी सोचूँ तुम्हे तुम वही होतुम महकती जवां चांदनी हो जब कभी तुमने नजरें उठायीं आंख तारों की झुकने लगी हैं मुस्कारायीं जो आँखें झुका के... Continue Reading →
यह गीत हृषिकेष मुखर्जी की फिल्म फिर कब मिलोगी (1974) का है। इसे लिखा था मजरूह सुल्तानपुरी ने और संगीतबद्ध किया था आर.डी.बर्मन/पंचम ने। फिल्म में यह यह गीत दो बार आता है। पहली बार यह एकल गीत के रुप... Continue Reading →
“I do not want my house to be walled in on all sides and my windows to be stuffed. I want the cultures of all the lands to be blown about my house as freely as possible. But I refuse... Continue Reading →
https://youtu.be/E5N7k1V2bQk?si=NIqBLjz7NEJ-iMeR गायक- #मुकेश, गीतकार- #शैलेन्द्र, संगीतकार – #सलिल_चौधरी, सिनेमेटोग्राफर - #दिलीप_गुप्ता,और निर्देशक – #बिमल_राय, फिल्म - #मधुमती (1957) ...[राकेश]
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